सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) बिक्री प्रक्रिया से गुजर रही है। इसे खरीदने में दिलचस्पी रखने वालों की संख्या कम हो गई है।
दरअसल, एयर इंडिया के कर्मचारियों का एक समूह, एयर इंडिया कर्मचारी कंसोर्टियम, भी खरीदारों की रेस में था लेकिन अब बाहर हो गया है। एयर इंडिया कर्मचारी कंसोर्टियम को सोमवार को ट्रांजेक्शन एडवाइज़र द्वारा प्रक्रिया से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अब रेस में सबसे आगे टाटा संस और स्पाइसजेट है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि एयर इंडिया का मालिकाना हक एक बार फिर टाटा ग्रुप के पास जा सकता है।
आपको बता दें कि एयर इंडिया के 209 कर्मचारियों के एक समूह ने कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जमा किया था, लेकिन अब इसे खारिज कर दिया गया है। फाल्कन टायर्स के एस्सार और पवन रुइया ने भी एयर इंडिया के लिए बोली लगाई थी।
रणनीतिक बिक्री विनिवेश का प्रमुख तरीका होगा : इस बीच, वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री की गुंजाइश कम हो गई है और आगे चलकर विनिवेश प्राप्तियों के लिए रणनीतिक विनिवेश ही प्रमुख तरीका होगा।
राज्यसभा में एक लिखित जवाब में ठाकुर ने कहा कि सरकार ने तीन मार्च तक विनिवेश प्राप्तियों के रूप में 20,627 करोड़ रुपये प्राप्त किये हैं। ठाकुर ने कहा, ‘‘समय के साथ, अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री की संभावना में कमी आई है और विनिवेश प्राप्तियों के लिए रणनीतिक विनिवेश और निजीकरण प्राथमिक तरीका होगा।’’
बता दें कि सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल), नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल), एनएमडीसी की नगरनार इकाई, फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड, और सेल की इकाइयों – मिश्र धातु इस्पात संयंत्र, दुर्गापुर; विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील प्लांट और सेलम स्टील प्लांट के रणनीतिक विनिवेश करने का फैसला किया है।