बीमा क्षेत्र नियामक इरडा बीमा क्षेत्र में नये उत्पादों को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल करो और इस्तेमाल करो’ से हटकर अब ‘इस्तेमाल करो और फाइल करो’ प्रणाली को अपनाने पर विचार कर रहा है। इसमें बीमा कंपनियां बिना मंजूरी लिये बाजार में नये उत्पाद पेश कर सकेंगी।
इरडा के चेयरमैन सुभाष सी. खुंटिया ने कहा, ‘‘हम उत्पादों को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल और इस्तेमाल करो’ प्रणाली से हटकर जहां तक संभव हो पहले ‘इस्तेमाल करो और फिर फाइल’ करो। कुछ वर्गों में हमने इस प्रणाली को शुरू कर दिया है और हम इस पर आगे बढ़ना चाहेंगे।’ फाइल करो और इस्तेमाल करो प्रणाली के तहत किसी भी बीमा कंपनी को अपने नये उत्पाद को बाजार में पेश करने के लिये उस उत्पाद को लेकर भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) में आवेदन करना होता है।
नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद से वह उस उत्पाद को बाजार में बेच सकता है। लेकिन नई प्रणाली इस्तेमाल करो और फाइल करो में बीमा कंपनियों को बिना नियामक की अनुमति के ही नये उत्पादों को बाजार में बेचने की अनुमति होगी।
उन्होंने कहा की एक्चुअरी यानी बीमा पॉलिसी का आकलन करने वाले बीमांककों की इस मामले में बड़ी जवाबदेही है। उन्हें बीमा पॉलिसी तैयार करते हुये एक तरफ पॉलिसी धारकों की सुरक्षा और दूसरी तरफ बीमा कंपनियों के परिचालन को ध्यान में रखना होता है और इसके बीच संतुलन बनाना होता है।
खुंटिया ने जोर देते हुये कहा कि बीमांककों को कोई भी नई पॉलिसी तैयार करते हुये जलवायु परिवर्तन और भविष्य की महामाारी जैसी अनिश्चितताओं और खतरों को भी ध्यान में रखना चाहिये। यह सब कुछ इस तरह होना चाहिये की जनता को उनकी जरूरत के समय व्यापक सुरक्षा उपलब्ध हो।
इरडा चेयरमैन ने कहा कि बीमांकक (एक्चुअरी) बीमा नियामक की आंख और कान हैं। यह बीमा कंपनियों की विभिन्न गतिविधियों के लिये नियुक्त बीमांककों के प्रमाणन पर निर्भर करता है।