केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए 2020-21 के बजट में रक्षाकर्मियों की पेंशन के लिए 1,33,825 करोड़ की भारी-भरकम राशि आवंटित की है। रक्षाकर्मियों की पेंशन की रकम बीते 15 सालों में 10.5 गुना तेजी से बढ़ती हुई यहां तक पहुंची है। 2005-06 में डिफेंस में नौकरी करने वालों की पेंशन के लिए 12,715 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
केंद्र सरकार के कुल खर्च का 4.4 पर्सेंट पेंशन में: रक्षाकर्मियों की पेंशन के लिए जारी की गई 1,33,825 करोड़ रुपये की रकम केंद्र सरकार के कुल खर्च के 4.4 फीसदी के बराबर है और जीडीपी का 0.6 फीसदी है। यही नहीं रक्षा मंत्रालय के लिए जारी कुल बजट का यह 28 फीसदी हिस्सा है।
पेंशन से कम खर्च आधुनिकीकरण पर: रक्षा मंत्रालय की ओर से किए जाने वाले कुल पूंजीगत व्यय से भी यह 15,291 करोड़ रुपये अधिक है। मिनिस्ट्री की ओर से किए जाने वाले पूंजीगत व्यय का बड़ा हिस्सा रक्षा बलों के आधुनिकीकरण पर खर्च होता है। अब यह सरकार की ओर से सैन्यकर्मियों को दी जाने वाली सैलरी के बराबर है। साफ है कि सरकार सैलरी और पेंशन पर जितना अधिक खर्च करेगी, सेनाओं के आधुनिकीकरण पर उतना ही कम खर्च हो सकेगा।
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मनरेगा, हेल्थ और एजुकेशन का बजट भी पेंशन से कम: सरकार की ओर मनरेगा के लिए जारी की गई 61,500 करोड़ रुपये की रकम डिफेंस पेंशन के 46 पर्सेंट के बराबर है। इसके अलावा सरकार ने पीएम की फ्लैगशिप स्कीम की स्वच्छ भारत योजना के लिए 12,300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसी तरह से सरकार ने शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य के लिए 69,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
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7वें वेतन आयोग और वन रैंक वन पेंशन से बढ़ा बजट: रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल सैन्य बलों के 26 लाख पेंशनर और उनके परिवार हैं। इस संख्या में हर साल 55,000 नए पेंशनर जुड़ जाते हैं। दरअसल सरकार ने 2015 में वन रैंक वन पेंशन का ऐलान किया था, जिसके तहत रक्षा कर्मियों को मिलने वाली पेंशन के बजट में 8,600 करोड़ रुपये का इजाफा हो गया था। फिर 2017 में सरकार ने जब 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया तो यह एक बार फिर से बढ़ गया।
सैन्यकर्मियों से ज्यादा हैं डिफेंस पेंशनर: डिफेंस पेंशन का सरकार पर इसलिए भी लंबे वक्त तक बोझ पड़ता है क्योंकि ज्यादातर सैन्यकर्मी कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं और अन्य नौकरीपेशा लोगों की तुलना में लंबे समय तक पेंशन के हकदार होते हैं। फिलहाल डिफेंस पेंशनर और मौजूदा सैन्यकर्मियों का अनुपात 1.7 और 1 का है। वहीं नागरिक सेवाओं में लगे पेंशनर्स और कर्मचारियों का अनुपात 0.56 और 1 का है। इसके अलावा डिफेंस पेंशनर्स की बढ़ती संख्या की एक वजह भारत में जीवन प्रत्याशा में इजाफा होना है।
क्यों नहीं कम हो सकती है सैन्यकर्मियों की पेंशन: सभी नागरिक सेवाओं के एंप्लॉयीज को सरकार ने 1 जनवरी, 2004 के बाद से तयशुदा पेंशन की व्यवस्था से हटाकर नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत ला दिया है। इसके चलते उनकी पेंशन का बोझ सरकार पर एक झटके में कम हो गया। हालांकि डिफेंस पेंशनरों को इससे बाहर रखा गया है क्योंकि उनकी नौकरी की अवधि कम होती है।