Adani Power Projects: अमेरिकी अभियोजकों (US prosecutors) ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी समेत सात लोगों पर यूएस में भारतीय अधिकारियों पर घूस देने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप एक बार फिर विवादों में है। हालांकि, गौतम अडानी की कंपनी ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। अडानी ग्रुप पर लगे इन गंभीर आरोपों के बाद बांग्लादेश ने अडानी पावर ट्रेडिंग पैक्ट समेत कई बड़े पावर जेनरेशन कॉन्ट्रैक्ट को ‘रिव्यू’ करने में मदद के लिए जानी-मानी लीगल और इन्वेस्टिगेटिव फर्म को हायर किया है। हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस को अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

बांग्लादेश की सरकार ने एक बयान में कहा, ‘मिनिस्ट्री ऑफ पावर, एनर्जी और मिनरल रीसोर्सेज पर नेशनल रिव्यू कमेटी ने रविवार को अंतरिम सरकार से एक जानी-मानी लीगल और इन्वेस्टिगेटिव फर्म को शेख हसीना के शासन के समय 2009 से 2024 के बीच साइन हुए बड़े पावर जेनरेशन कॉन्ट्रैक्ट को रिव्यू करने में मदद करने के लिए हायर करने को कहा है।’

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बयान के मुताबिक, ‘फिलहाल यह कमेटी कई कॉन्ट्रैक्टस की जांच विस्तार से करने में लगी हुई है। इनमें Adani (Godda) BIFPCL 1234.4 कोल फायर्ड पावर प्लान्ट शामिल है।’ बयान में आगे कहा गया कि इस लिस्ट में दूसरे पावर प्लान्ट, Payra (1320 MW coal), Meghnaghat (335 MW dual fuel), Ashuganj (195 MW gas), Bashkhali (612 MW Coal), Meghnaghat (583 MW dual fuel) और Meghnaghat (584 MW gas/RLNG) भी शामिल हैं।

सरकारी बयान के अनुसार, ‘एक असाधारण प्रस्ताव में, न्यायमूर्ति मोयेनुल इस्लाम चौधरी के नेतृत्व वाली कमेटी ने कहा कि उसे अन्य अपेक्षित और अनचाहे कॉन्ट्रैक्ट का ज्यादा विश्लेषण करने के लिए और समय चाहिए। कमेटी सबूत इकट्ठा कर रही है जिससे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कानूनों और कार्यवाही के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट पर पुनर्विचार या रद्दीकरण हो सकता है। रिव्यू कमेटी ने अपने रेजॉलूशन में कहा कि हमारा सुझाव है कि तत्काल एक टॉप-क्वॉलिटी इंटरनेशनल लीगल और इन्वेस्टिगेटिव फर्म को हमारी कमेटी की मदद के लिए हायर किया जाए।’

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बयान में कहा गया कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जांच, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो और इसे अंतर्राष्ट्रीय बातचीत एवं मध्यस्थता में स्वीकार्य किया जाए।

रिव्यू पर अडानी ग्रुप का जवाब

इस मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क करने पर अडानी पावर लिमिटेड ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हम बांग्लादेश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं। हमारा पीपीए पिछले सात वर्षों से अस्तित्व में है और पूरी तरह से कानूनी है और सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है। हम बिजली की आपूर्ति करके अपने संविदात्मक दायित्वों (contractual obligations) को पूरा कर रहे हैं।’

प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने, 2017 में अडानी ग्रुप के साथ देश के बिजली खरीद समझौते (Power Purchase Agreement) की दोबारा समीक्षा करने के लिए ऊर्जा और कानून विशेषज्ञों की एक हाई-लेवल इन्क्वायरी कमेटी का गठन किया था। ऐसा बांग्लादेश हाई कोर्ट के निर्देश पर हुआ था।

बांग्लादेश की न्यूज एजेंसी UNB के मुताबिक, 19 नवंबर 2024 को जस्टिस फरहान महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की एक बेंच ने सरकार से कमेटी की रिपोर्ट को दो महीनों के अंदर सबमिट करने को कहा था।

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने सरकार को पावर डिवीजन और अडानी ग्रुप की 25 साल के लिए हुई डील के सभी दस्तावेज एक महीने के अंदर जमा करने के भी आदेश दिए थे।

गौर करने वाली बात है कि इंडियन एक्सप्रेस ने 12 सितंबर को खबर दी थी कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार, बांग्लादेश में भारतीय कारोबारियों की जांच कर रही है, जिनमें अडानी ग्रुप भी शामिल है। 2017 में हुए समझौते के तहत अडानी ग्रुप अपनी झारखंड यूनिट से बांग्लादेश को बिजली एक्सपोर्ट करता है।

कुल मिलाकर कहें तो अंतरिम सरकार इस बिजली समझौते की शर्तों को जानना चाहती है। और इसका मकसद यह पता करना है कि बिजली के लिए चुकाई जा रही कीमत सही है या नहीं।

2017 में अडानी पावर और बांग्लादेश के बीच समझौता

नवंबर 2017 में, अडानी पावर (झारखंड) लिमिटेड (एपीजेएल) ने बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल के 1,496 मेगावाट (नेट) बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत बांग्लादेश एजेपीएल के गोड्डा प्लांट से उत्पादित 100 फीसदी बिजली खरीदेगा। 100 प्रतिशत आयातित कोयले पर चलने वाली इस यूनिट को मार्च 2019 में भारत सरकार द्वारा एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) घोषित किया गया था।

अप्रैल-जून 2023 से पूरी तरह से कमर्शियल तौर पर चालू गोड्डा प्लांट, बांग्लादेश के बेस लोड का 7-10 प्रतिशत आपूर्ति करता है। 2023-24 में इसने लगभग 7,508 मिलियन यूनिट बिजली का निर्यात बांग्लादेश को किया जो भारत के कुल बिजली निर्यात 11,934 मिलियन यूनिट का लगभग 63 प्रतिशत है।

बांग्लादेश को भारत का बिजली निर्यात 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो कि अपने पड़ोसी को किए जाने वाले भारत के कुल निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत है।

श्री लंका में भी अडानी ग्रुप के प्रोजेक्ट पर पुर्नविचार

श्रीलंका की बात करें तो अनुरा कुमारा डिसनायके की सरकार द्वारा अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) से जुड़ी आखिरी फैसला अभी लिया जाना बाकी है। मन्नार और पूनरीन में विंड पावर प्रोजेक्ट समेत श्री लंका में अडानी ग्रुप के कई दूसरे इन्वेस्टमेंट हैं।

श्री लंका के अखबार The Sunday Morning से बातचीत में Ceylon Electricity Board (CEB) के प्रवक्ता इंजीनियर धनुष्का पराक्रमसिंघे ने पुष्टि करते हुए कहा कि इस मामने को ‘रिव्यू’ किया जा रहा है, फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है।

उन्होंने कहा कि पवन ऊर्जा परियोजना के संबंध में एक प्रस्ताव आगे के विचार-विमर्श के लिए आने वाले हफ्तों में कैबिनेट को प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम ऐसे बड़े पैमाने की परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करें, खासकर अडानी समूह के बारे में उठाई गई अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के सामने आने का बाद।’

एकेडी सरकार ने देश की सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह पवन ऊर्जा परियोजना (Wind Power Project) के लिए पिछली सरकार द्वारा अडानी समूह को दी गई मंजूरी पर पुनर्विचार करेगी।

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