अडानी ग्रुप को SEBI ने क्लीन चिट दी है। अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग मामले में सेबी ने क्लीन चिट दे दी है। सेबी ने कहा कि अडानी ग्रुप पर लगे आरोप साबित नहीं हुए। अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग ने इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप लगाए थे, जिनकी सेबी जांच कर रही थी। सेबी ने अपने आदेश में गौतम अडानी, उनके भाई राजेश अडानी, अडानी पोर्ट्स, अदानी पॉवर एंड एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज को दोषमुक्त कर दिया।
SEBI ने क्या कहा?
जांच के बाद सेबी ने निष्कर्ष निकाला कि लिस्टिंग समझौते या LODR विनियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। सेबी ने इस मामले की गहन जांच की ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वित्तीय विवरणों में संभावित गलतबयानी सहित सेबी अधिनियम का कोई उल्लंघन हुआ है। सभी विवरणों की जांच के बाद SEBI इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ये लेन-देन वैध थे और लिस्टिंग समझौते या एलओडीआर विनियमों का उल्लंघन नहीं करते थे।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने आदेश में लिखा, “मुझे लगता है कि SCN में लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए नोटिस प्राप्तकर्ताओं पर किसी भी दायित्व के हस्तांतरण का सवाल ही नहीं उठता है और इसलिए जुर्माने की मात्रा के निर्धारण के सवाल पर भी किसी विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है।”
मामले पर विचार करने के बाद SEBI ने कहा कि उसने बिना किसी निर्देश के नोटिस प्राप्तकर्ताओं के खिलाफ तत्काल कार्यवाही का निपटारा करने का फैसला किया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अडानी समूह की चार कंपनियों ने 2020 में कंपनी को कुल 6.2 अरब रुपये (87.4 मिलियन डॉलर) का लोन दिया, जबकि अडानी समूह के ऋणदाताओं, (जिनमें से कई सार्वजनिक रूप से लिस्टेड हैं) के वित्तीय विवरणों में इन लेनदेन का कोई खुलासा नहीं किया गया।
हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाया था?
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज ने 2020 में अपनी नई पूंजी का इस्तेमाल अडानी पावर को असुरक्षित आधार पर 6.1 अरब रुपये (86 मिलियन डॉलर) का लोन देने के लिए किया। भारत के शेयर बाजार नियामक सेबी ने इस मामले की विस्तृत जांच की ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या लिस्टेड अडानी समूह की कंपनियों ने सेबी अधिनियम का उल्लंघन किया है।