पिछले साल बैंकों से धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। सेंट्रल इकोनोमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीआईआईबी) की वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने साल 2018-19 में बैंकिंग धोखाधड़ी की 222 मामले की जानकारी मिली। इन मामले में बैंकों को करीब 27 हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।
बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले ऐसे समय में आ रहे हैं जब बैंक पहले से ही डूबते कर्ज की समस्या से परेशान हैं। बैंक खुद धोखाधड़ी और डिफाल्ट के मामले में शामिल हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों को इस संबंध में पैसे की वसूली करने के संबंध में कार्रवाई करने और दोषी लोगों को सजा दिलवाने को कहा गया है।
सीबीआई ने 2 जुलाई को बैंक धोखाधड़ी और सरकारी खजाने को 1139 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में देशभर में 16 कंपनियों पर छापा मारा था। सीबीआई ने इन मामलों में अलग-अलग 17 केस भी दर्ज किए। इसमें गुजरात की एक डायमंड ट्रेडिंग कंपनी भी शामिल है।
इस कंपनी ने बैंकों के कंर्जोटियम से 7000 करोड़ रुपये का लोन लिया था। सीईआईबी के अनुसार जिन 10 सरकारी बैंकों ने धोखाधड़ी और लोन नहीं चुकाने से नुकसान झेला है उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड कॉमर्शियल बैंक, और देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई शामिल है।
पंजाब नेशनल बैंक को हीरा कारोबारी नीरव मोदी 13 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है। सीबीआई आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर के खिलाफ वीडियोकॉन ग्रुप को लोन मंजूर किए जाने के मामले की जांच कर रही है। इस लोन के बदले में वीडियोकॉन ने लोन की राशि को कोचर के पति की कंपनी में निवेश किया था। सीईआईबी ने
‘Timely detection of bank frauds’ शीर्षक से 73 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में बैंकिंग धोखाधड़ी के 11 प्रमुख कारण बताए गए हैं।

