8th Pay Commission: नरेंद्र मोदी सरकार ने इसी साल जनवरी में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की जगह एक नए पे पैनल को बनाने का ऐलान किया था। बता दें कि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है। अब सरकार द्वारा 8th Pay Commission के तीन सदस्यों (चेयरमैन सहित) के नाम की घोषणा की जानी है।

आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद से ही फिटमेंट फैक्टर को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। बता दें कि फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में इजाफा किया जा रहा है। फिटमेंट फैक्टर के अलावा, हर किसी के मन में यह सवाल है कि फिटमेंट फैक्टर लागू करने से पहले क्या बेसिक वेतन को महंगाई भत्ते (dearness allowance -DA)के साथ मर्ज कर दिया जाएगा?

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फिटमेंट फैक्टर और डीए के साथ बेसिक वेतन के विलय के कॉन्सेप्ट को समझना काफी महत्वपूर्ण है। नए पे कमीशन के लागू होने पर किस तरह केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रिवाइज की जाती है, यह इसी से समझा जा सकता है।

फिटमेंट फैक्टर क्या है?

फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर है जिसका इस्तेमाल, वेतन आयोग के कार्यान्वयन के दौरान मूल वेतन को रिवाइज करने के लिए किया जाता है। यह मुद्रास्फीति और पिछले भत्तों, खासकर डीए को शामिल करके सभी वेतनमानों में एक समान बढ़ोतरी सुनिश्चित करता है।

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वेतन में बदलाव के समय DA की भूमिका

पिछले वेतन आयोगों – विशेष रूप से 5वें, 6वें और 7वें – ने फिटमेंट फैक्टर लागू करने से पहले डीए को मूल वेतन के साथ विलय के रूप में प्रभावी माना है, भले ही स्पष्ट रूप से इसके बारे में नहीं बताया गया हो।

जनवरी 2016 में जब 7वां वेतन आयोग लागू हुआ था, तब केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन पर 125% डीए प्राप्त कर रहे थे। आयोग ने 2.57 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश की, जो इन चीजों के लिए जिम्मेदार था:

7वें केंद्रीय वेतन आयोग में इस्तेमाल 2.57x का फिटमेंट फैक्टर मनमाने ढंग से तय नहीं किया गया था। यह एक स्ट्रक्चर्ड कैलकुलेशन थी जिसमें प्रभावी रूप से मूल वेतन का 100%, 125% डीए, और मूल और डीए की संयुक्त राशि पर लगभग 14.22% की वास्तविक वृद्धि शामिल थी।

इसलिए, संशोधित वेतन 2016 तक मूल वेतन और कुल डीए के समेकित आंकड़े पर आधारित था।

कैलकुलेशन का उदाहरण:
अगर किसी सरकारी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 10,000 रुपये है

125% DA = 12,500 रुपये (10,000 x 1.25),

कुल टोटल = 22,500 रुपये

14.22% इजाफा = 3,199.5 रुपये

नया वेतन = 25,699.5 रुपये ~ करीब 25,700

फिटमेंट फैक्टर = 25,700 रुपये/10,000 रुपये = 2.57

इसका मतलब है कि संशोधित वेतन सिर्फ पुराने बेसिक पर आधारित नहीं था, बल्कि बेसिक + डीए मर्ज किए गए आंकड़े पर आधारित था, जिसमें मामूली बढ़ोतरी जोड़ी गई थी।

5वां वेतन आयोग (5th Pay Commission): 1996
DA 74% के आसपास था।

सरकार ने डीए को मूल वेतन में विलय कर दिया और 1.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया।

यह फैक्टर अनिवार्य रूप से 74% डीए मर्ज और 28-30% वास्तविक बढ़ोतरी का प्रतिनिधित्व करता है।

छठा वेतन आयोग (6th Pay Commission): 2006
डीए 115 फीसदी के आसपास पहुंच गया था।

हालांकि डीए को स्पष्ट रूप से विलय नहीं किया गया था, 1.86x के फिटमेंट लाभ ने संकेत दिया कि इसे वेतन बैंड और ग्रेड वेतन के जरिए संशोधित वेतन संरचना (revised pay structure) में शामल किया गया था।

फिर से, 1.86 मल्लटीप्यार ने मूल + डीए + मामूली वृद्धि को दिखाया।

पिछले वेतन आयोगों के तहत डीए और फिटमेंट फैक्टर

Pay Commissionमर्जर के समय DAफिटमेंट फैक्टर
पांचवा वेतन आयोग74 प्रतिशत1.86
छठा वेतन आयोग115 प्रतिशत1.86 (ग्रेड पे के साथ)
सातवां वेतन आयोग125 प्रतिशत2.57

8वें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेतन को कैसे रिवाइज किया जा सकता है
आठवें वेतन आयोग में भी वैसी ही अप्रोच अपनाए जाने की संभावना है जैसा पिछले आयोगों के तहत देखा गया था।

हालिया रुझानों से पता चलता है कि फिटमेंट फैक्टर केवल मूल वेतन पर लागू नहीं होता है। इसके बजाय, डीए को पहले रिवाइज्ड बेस सैलरी में विलय या शामिल किया जाता है, और फिर बढ़ोतरी लागू की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण बात है क्योंकि कर्मचारी किसी भी संभावित 8वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन से पहले हाई फिटमेंट फैक्टर पर जोर दे रहे हैं।