7th Pay Commission: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस दिन दफ्तर में चार्ज संभाला था, उस दिन उन्हें सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांगों के बारे में ब्रीफिंग दी गई थी। हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि ये चीजें उनकी प्राथमिकता में हैं या नहीं। पर सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार इस मसले पर बेहद गंभीर है और वह किसी भी हालत में इन कर्मचारियों को निराश नहीं करना चाहती है। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारियों को इस बारे में संकेत भी दिए थे।

दरअसल, वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान का मसला कार्मिक मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ही सुलझा सकते हैं, क्योंकि ये दोनों ही मिलकर इस पर अंतिम फैसला लेते हैं और बाद में कार्मिक मंत्रालय उस पर अंतिम मुहर लगाता है। मौजूदा सरकार में कार्मिक मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है।

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इसी बीच, कहा जा रहा था कि मोदी सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की बढ़ोतरी को लेकर फैसला थोड़ा रुक कर लेगी, जिसमें चार से छह महीने का समय भी लग सकता है। यह भी बताया गया था कि अगर इस निर्णय में जल्दबाजी हुई तब सरकार हद से हद दो हजार रुपए तक की बढ़ोतरी करेगी, जो कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नाकाफी रकम होगी।

बता दें कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से मिनिमम पे को 18 हजार रुपए से बढ़ाकर 26 हजार करने की मांग कर रहे हैं। यानी वे इसमें आठ हजार रुपए की सीधी बढ़ोतरी चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के समय अटकलें थीं कि सरकार किसी भी हालत में सरकारी कर्मचारियों को निराश नहीं करेगी और वेतन बढ़ोतरी को लेकर बड़ा ऐलान करेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। चुनावी आदर्श आचार संहिता को इसके पीछे का कारण बताया गया था।