चीन के शेयर बाजार में निरंतर गिरावट और भार तके शेयर बाजार में बढ़ोतरी के कारण देश की इकोनॉमी एशिया के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रही है। हाल ही समाप्त हुए सप्ताह, सितंबर माह के दौरान MSCI इंडिया इंडेक्स ने 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है तो वहीं MSCI चाइना इंडेक्स में 23 फीसदी की गिरावट आई है। इस प्रकार 33 फीसदी बेहतर प्रदशर्न मार्च 2000 के बाद सबसे अच्छा रहा है।
ब्लूमवर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिजिंग की कोविड जिरो की नीति, रेगुलेटरी सख्ती और पश्चिमी के साथ जारी तनाव देश पर भारी पड़ रहा है। इस कारण 2021 से अभी तक चीन की बाजार वैल्यू 5 लाख करोड़ डॉलर कम हो चुकी है। वहीं ‘नेक्स्ट चीन’ कहा जा रहा भारत एशिया में तेजी से इकोनॉमी ग्रोथ का एक आकर्षक विकल्प बन गया है।
भारत में अधिक दांव लगा रहे इनवेस्टर्स
बाजार के दिग्गज मार्क मोबियस ने इस साल की शुरुआत से चीन की तुलना में भारत को अधिक अहमियत दी है। जुपिटर एसेट मैनेजमेंट का कहना है कि उसके कुछ इमर्जिंग-मार्केट फंड्स में भारत की सबसे बड़ी होल्डिंग है। एम एंड जी इन्वेस्टमेंट्स पीटीई ने 2022 में भारत को “अधिक आवंटन” किया है।
मंदी का सामना कर सकता है भारत
मनी मैनेजर्स का कहना है कि भारत के बढ़ते घरेलू बाजार का मतलब है कि देश अन्य उभरते बाजारों से बेहतर वैश्विक मंदी का सामना कर सकता है। लंबी अवधि में अमेरिका के साथ चीन के अलग होने से भारतीय फर्मों के लिए दुनिया भर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का मार्ग तैयार कर सकता है।
लंदन के एक इनवेस्टर्स निक पायने ने कहा कि चीन के सख्त लॉकडाउन नियम आपूर्ति चेन को प्रभावित करता रहेगा, जिसे लेकर भारत को फयदा मिल सकता है। ऐसे में भारत इस आपूर्ति को पूरा करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
चाइना को कितना हुआ नुकसान
MSCI चाइना इंडेक्स में शामिल फर्मों के कुल बाजार मूल्य में तब से 5.1 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट आई है और जुलाई 2016 के बाद से गेज शुक्रवार को अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। MSCI इंडिया इंडेक्स – जो इस साल की शुरुआत में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जिसने करीब 300 अरब डॉलर जोड़े हैं।