Bank Recovery Bad Loan: पिछले पांच सालों में बैंकों ने दस लाख करोड़ का लोन बट्टे-खाते (Write Off) में डाला है। बैंकों ने लोन की रिकवरी की है, लेकिन बैंक कर्ज (bank Loan Recovery) का सिर्फ 13 प्रतिशत ही वसूल पाए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 5 सालों में बट्टे-खाते में डालने से एनपीए में 10,09,510 करोड़ रुपये की कमी आई है। आरबीआई ने द इंडियन एक्सप्रेस की एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है।

बैंकों ने 5 सालों में 1,32,036 करोड़ रुपये के बैड लोन की वसूली की है। बैंक उन लोन की घोषणा करते हैं, जो तीन महीने या 90 दिनों से ज्यादा के लिए गैर-निष्पादित कर्ज के रूप में भुगतान किए जाते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि 10 सालों में राइट-ऑफ के कारण गैर-निष्पादित संपत्तियों में कमी की वजह से 13,22,309 करोड़ रुपये हैं।

बताया गया कि मार्च 2022 तक बैंकिंग क्षेत्र ने सकल एनपीए में 7,29,388 करोड़ रुपये या 5.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जबकि 2017-18 में सकल एनपीए 11.2 प्रतिशत था। आरबीआई के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा अधिकांश ऋण बट्टे खाते में डाले गए। बट्टे-खाते में 734,738 करोड़ रुपये ड़ाले गए है।

व्यक्तिगत विवरण का नहीं किया खुलासा

बैंकों ने पिछले कुछ सालों में कई बड़े-छोटे लोन को बट्टे खातों में डाल दिया है, लेकिन बैंकों की तरफ से कभी भी लोन लेने वालों का व्यक्तिगत विवरण नहीं दिया गया है। राइट-आफ के कारण पिछले सालों में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां एसबीआई के मामले में 2,04,486 रुपये, पंजाब नेशनल बैंक का 67,214 और बैंक बड़ौदा का 66,711 रुपये है।

एक बार जब बैंक द्वारा ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया जाता है, तो यह बैंक की परिसंपत्ति बही से बाहर हो जाता है। ऋण लेने वाला इसे चुकाने में चूक जाता है, तो ऐसे में बैंक द्वारा ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया जाता है क्योंकि वसूली की बहुत कम संभावना होती है। ऋणदाता तब डिफॉल्ट ऋण, या एनपीए को संपत्ति पक्ष से बाहर ले जाता है और राशि को नुकसान के रूप में रिपोर्ट करता है।