एकात्मता की मूर्ति (Statue of Oneness)– ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना हेतु ईपीसी-1 (इंजीनियरिंग-प्रोक्योरमेंट-कंस्ट्रक्शन) के रूप में चयनित कम्पनी एल एण्ड टी द्वारा उक्त निर्माण कार्य सम्पूर्ण कर लिया गया है।

  • एकात्मता की मूर्ति (Statue of Oneness)- की स्‍थापना अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) के मध्‍य में की गयी है।
  • अद्वैत लोक तथा एकात्मता की मूर्ति (Statue of Oneness) लगभग 11.5 हैक्‍टेयर भूमि पर स्‍थापति की जा रही है।
  • 108 फीट की बहुधातु मूर्ति 12 साल के आचार्य शंकर की है।
  • यह मूर्ति पत्थर निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित है।
  • यह प्रतिमा विख्यात चित्रकार श्री वासुदेव कामत के द्वारा बनाये गये चित्र के आधार पर बनाई गयी है।
  • वासुदेव कामत के द्वारा बनाये गये बाल शंकर के चित्र के आधार पर मूर्ति बनाये जाने हेतु भारत देश के 11 मूर्तिकारों का चयन किया गया। इन 11 मूर्तिकारों द्वारा 5 फीट की मूर्ति प्रस्तुत करने पर सर्च कम सिलेक्शन कमेटी द्वारा इनमें से 3 मूर्तिकारों का चयन किया गया और फिर इन 3 मूर्तिकारों में से श्रेष्ठतम प्रतिकृति प्रस्तुत करने वाले मूर्तिकार श्री भगवान् रामपुरे, सोलापुर का चयन किया गया।
  • प्रतिमा का निर्माण एल.एन.टी कम्पनी के द्वारा श्री भगवान् रामपुरे मूर्तिकार, श्री वासुदेव कामत चित्रकार के मार्गदर्शन में जे.टी.क्यु. चाईना से कराया गया है।
  • यह प्रतिमा 100 टन की है। प्रतिमा 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक तथा 8 प्रतिशत टिन के मिश्रण से बनाई गयी है।
  • एकात्‍मता की मूर्ति कुल 290 पैनल को मिलाकर निर्मित की गयी है।


आचार्य शंकर की मूर्ति (एकात्मता की मूर्ति-Statue of Oneness)ओंकारेश्‍वर में ही क्‍यों ?

  • आचार्य शंकर का जन्‍म केरल के कालड़ी ग्राम में हुआ। उनकी माता का नाम आर्याम्‍बा तथा पिता का नाम शिवगुरू।
  • 08 वर्ष की आयु में बाल शंकर अपनी माँ से आज्ञा प्राप्‍त कर गुरू की खोज में निकल पड़े।
  • बाल शंकर गुरू की खोज में नर्मदा किनारे चलते-चलते ओंकारेश्‍वर आए और ओंकारेश्‍वर में उन्‍हें गोविन्‍द भगवदपाद मिले।
  • ओंकारेश्‍वर में गोविन्‍द भगवदपाद से बाल शंकर को गुरू दीक्षा मिली।
  • बाल शंकर द्वारा गुरू गोविन्‍द भगवदपाद के सानिध्‍य में रहकर लगभग 03 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की।
  • आचार्य शंकर द्वारा नर्मदाष्‍ट्कम की रचना ओंकारेश्‍वर में ही की गई।
  • गुरू आदेश पर 11 वर्ष की आयु में अद्वैत वेदान्‍त दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिये
  • ओंकारेश्‍वर से प्रस्‍थान किया।

चिरस्थाई स्‍मृति

  • ओंकारेश्‍वर में स्‍थापित होने वाले एकात्‍म धाम को चिरस्‍थाई बनाने के लिये एकात्मता की मूर्ति-Statue of Oneness के अतिरिक्‍त अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) तथा आचार्य शंकर अंतरराष्‍ट्रीय अद्वैत वेदान्‍त संस्‍थान की स्‍थापना की जा रही है।

अद्वैत लोक शंकर संग्रहालय के मुख्‍य घटक

  • शङ्कर स्तम्भ
  • एकात्मता की मूर्ति के नीचे भवन में एक विशाल स्तम्भ है जिसका नाम शङ्कर स्तम्भ है। शङ्कर स्तम्भ 45 फीट ऊँचा है और इसका डाया
  • लगभग 100 फीट है।
  • शङ्कर स्तंभ पर आदि शङ्कराचार्य के जीवन की 32 घटनाओं को लो रिलीफ के द्वारा प्रदर्शित किया जायेगा।

निदिध्यासन केन्द्र (Nididhyasana Kendra)

  • इस केन्द्र की क्षमता लगभग 300 होगी।
  • गाईडेड मेडिटेशन विविध भाषाओं में कराया जायेगा।

लेज़र लाइट वाटर एण्ड साउंड शो (Laser Light Water and Sound Show)


 श्रीयन्त्र प्रांगण में प्रतिदिन ‘लेजर, लाइट, वॉटर एण्ड साउण्ड शो’ होगा। इस शो में उपनिषदों की कथाओं को रोचक ढंग से दर्शकों हेतु प्रतिदिन
सन्ध्याकाल में प्रस्तुत किया जायेगा।

हाइस्क्रीन थियेटर (High Screen Theatre)


 इसकी कुल क्षमता 500 होगी।
 आचार्य शङ्कर के जीवन और दर्शन को हाइस्क्रीन के माध्यम से दिखाया
जायेगा।

सृष्टि गैलरी (Maya Gallery)


 ‘सृष्टि‘- वेदान्त व्याख्या का एक केन्द्र होगा।
 इसमें थ्रीडी होलोग्राम एवं अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से ब्रह्म,
सृष्टि, माया, जीव एवं जगत आदि सिद्धान्तों को कथानक के रूप में
बुनकर रोचक तरीके से प्रस्तुत किया जायेगा।

डायोरामा (Diorama)


 कुल सात डायोरामा के माध्यम से आचार्य शङ्कर के सम्पूर्ण जीवन का सजीव प्रस्तुतीकरण किया जायेगा।

अद्वैत नर्मदा विहार (Advaita Narmada Vihar)


 अद्वैत लोक (संग्रहालय) के निम्न भूतल (Lower Ground Floor) में अद्वैत नर्मदा विहार स्थित होगा। इसमें दर्शक स्वचलित नौकाओं के माध्यम से विहार कर सकेंगे।
 नौकाविहार का प्रारम्भ (बोर्डिंग एरिया)- नर्मदा के उद्गमस्थल अमरकंटक से होकर अन्त भरुच की खाड़ी में होगा।

कला वीथिका (Art Gallery)

 आचार्य के जीवन, दर्शन तथा आचार्य की रचनाओं को चित्रों के माध्यम से दिखाया जायेगा।
 देश के विख्यात चित्रकारों से केरल म्यूरल, ओडिशा पट्टचित्र, कांगड़ा, मधुवनी तथा समकालीन विभिन्न शैलियों में चित्र बनवाये जा रहे हैं।

अन्नपूर्णा (Annapurna)

 अन्नपूर्णा में लगभग 1500 लोगों के भोजन की व्यवस्था पारम्परिक एवं आधुनिक शैली दोनों में होगी।
 अन्नपूर्णा में पधारने वाले सभी आगंतुकों हेतु विशेष व्यंजन ‘‘अद्वैतभोग’’ की भी व्यवस्था होगी।
 अन्नपूर्णा में परिक्रमावासियों एवं अन्य भक्त जनों के लिये न्यूनतम मूल्य पर प्रसादी(खिचड़ी) एवं ले जाने के लिये प्रसाद उपलब्ध कराया जायेगा।

अद्वैत कलाग्राम (Advaita Kala Gram)

 मध्यप्रदेश एवं भारतवर्ष की समस्त लोक एवं क्षेत्रीय शिल्पों के प्रदर्शन तथा विक्रय हेतु यह केन्द्र विकसित किया जायेगा।
 दुकानों की वास्तुशैली, पारम्परिक मन्दिर वास्तुशिल्प आधारित होगी।

पंचायतन मन्दिर (Panchayatan Mandir)


 आचार्य शङ्कर द्वारा पुनर्स्थापित पंचायतन पूजा पद्धति पर आधारित
पंचायतन मन्दिर का निर्माण होगा।
 इस मंदिर का स्थापत्य पारम्परिक नागर शैली में होगा।
 यह मंदिर पूर्ण रूप से पत्थर से ही बनाया जाएगा।
 यहाँ पर नित्य पूजा अभिषेक होंगे तथा भक्त भी पूजा अभिषेक कर
पायेंगे।

आचार्य शंकर अन्तरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान


 अद्वैत वेदान्त दर्शन में शिक्षा, शोध एवं विस्तार के लिये यह अन्तरराष्ट्रीय स्तर का नेतृत्वकारी संस्थान होगा।
 इसके माध्यम से अद्वैत वेदान्त दर्शन का संपूर्ण समाज एवं विश्व में लोकव्यापीकरण करके एकात्म भाव का जागरण किया जाएगा।
 संस्थान द्वारा आवश्यकतानुसार तीन माह, छः माह आदि छोटी अवधि के सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किये जाएंगे।
 इन पाठ्यक्रमों को न सिर्फ वेदांत पढ़नेवाले छात्र अपितु समाज के सभी वर्गों के लोग जैसे- इंजीनियर, खिलाड़ीवर्ग, अधिकारीवर्ग, डॉक्टर, पुलिस

इत्यादि भी अद्वैत वेदान्त का अध्ययन कर सकेंगे। यह संस्थान अध्ययन, अध्यापन एवं प्रशिक्षण का अद्वितीय केन्द्र होगा।

इस संस्थान के 10 मुख्य घटक होंगे-

आचार्य पद्मपाद अद्वैत दर्शन केन्द्र
 इस केन्द्र में अद्वैत वेदान्त की परम्परा, वेदों से लेकर अब तक की उपलब्धियां तथा इस परम्परा के सभी आचार्यों की कृतियों पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा।
आचार्य हस्तामलक अद्वैत विज्ञान केन्द्र
 इस केन्द्र में आधुनिक विज्ञान के माध्यम से अद्वैत वेदान्त की अवधारणा, वैज्ञानिक अवलोकन और उपनिषदिक ज्ञान के मध्य समानताओं पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा।
आचार्य सुरेश्वर अद्वैत सामाजिक विज्ञान केन्द्र
 इस केन्द्र में वर्तमान और भावी समाज के लिये अद्वैत वेदान्त की प्रासङ्गिकता, महत्त्व, और उपयोगिता पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा।

आचार्य तोटक अद्वैत साहित्य, संगीत एवं कला केन्द्र
 इस केन्द्र में साहित्य, संगीत और कला की विभिन्न अभिव्यक्तियों में अद्वैत की स्थिति, तथा वेदान्तिक जागरण पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा।

महर्षि वेदव्यास अद्वैत ग्रंथालय
 अद्वैत वेदान्त पर यह एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर का संदर्भ ग्रन्थालय होगा। अद्वैत वेदान्त संबंधी सभी सामग्री प्रिंट और डिजिटल रूप में उपलब्ध होगी। पाण्डुलिपिओं को संरक्षित करते हुए उन्हें डिजिटल रूप में प्रस्तुत किया जायेगा।

आचार्य गौडपाद अद्वैत विस्तार केन्द्र

 इस केन्द्र का कार्य संस्थान के सभी केन्द्रों के कार्यों तथा अद्वैत वेदान्त को विभिन्न संचार माध्यमों से जनसाधारण के बीच उपलब्ध कराना होगा। साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर अद्वैत वेदान्त का लोकव्यापीकरण किया जायेगा।

आचार्य गोविन्द भगवत्पाद गुरुकुल
 अद्वैत वेदान्त के अध्ययन हेतु यह आवासीय गुरुकुल होगा। गुरुकुल में कुछ कक्षाओं की स्थाई व्यवस्था के साथ प्राचीन एवं पारम्परिक शैली के गुरुकुल शिक्षा पद्धति के महत्वपूर्ण घटकों को भी इस में सम्मिलित किया जायेगा।
 गुरुकुल की संरचना प्राचीन गुरुकुलों के अनुसार भारतीय परम्परागत वास्तु शैली पर आधारित होगी।

ओपन एयर थियेटर
 2000 क्षमता का ओपन एयर थियेटर होगा। जिसपर आचार्य शङ्कर विरचित स्तोत्रों एवं अद्वैत वेदान्त पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा।

मेडिटेशन सेन्‍टर / साधना कुटीर
 संस्थान में लगभग 200 क्षमता का एक मेडिटेशन सेन्टर/ साधना कुटीर होगा। एवं 25 मेडिटेशन कॉटेज बनाये जायेंगे।

शारदापीठ/सर्वज्ञपीठ
 कश्मीर(POK) के शारदा पीठ की तर्ज़ पर चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार समेत अध्ययन कक्ष युक्त परकोटा के बीच शारदा माँ का मंदिर स्थापित
होगा।
 स्थापत्य शैली कश्मीरी मंदिर पर आधारित होगी।

ओंकारेश्‍वर का इतिहास

मान्‍धाता पर्वत का इतिहास