समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इन दिनों 2027 के चुनावों की आहट के साथ युवाओं के बीच खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की जद्दोजहद में एआई, चैटजीपीटी और तकनीकी भविष्य का जप करते दिखाई दे रहे हैं। हैदराबाद में आयोजित एक एआई सम्मेलन में उनकी मौजूदगी को भी इसी सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन प्रदेश का युवा यह सवाल पूछ रहा है कि क्या यह सचमुच भविष्य की चिंता है या फिर अपनी राजनीतिक नाकामियों पर चढ़ाया गया तकनीक का चमकदार पर्दा।
आलोचकों का कहना है कि अखिलेश यादव जिस सुनहरे तकनीकी भविष्य की तस्वीर पेश कर रहे हैं, वह उतनी ही बनावटी है, जितनी किसी एआई-जनरेटेड डीप-फेक वीडियो की चकाचौंध जो दूर से आकर्षक दिखती है, लेकिन पास जाकर खोखली साबित होती है।
क्या पड़ोसी राज्य के चुनाव नतीजों से डर गए अखिलेश यादव?
अखिलेश के राज में चरमरा गई थी कानून-व्यवस्था
जब भी अखिलेश यादव युवाओं, महिलाओं, दलितों और पिछड़ों के हितों की बात करते हैं, तो 2012 से 2017 तक का उनका मुख्यमंत्री कार्यकाल खुद-ब-खुद कटघरे में आ खड़ा होता है। वह दौर उत्तर प्रदेश के लिए अपराध, भ्रष्टाचार और माफिया संस्कृति का पर्याय बन गया था। कानून-व्यवस्था चरमराई हुई थी, निवेश भाग रहा था और रोजगार के सपने दम तोड़ रहे थे।
युवाओं के हाथों में डिग्री तो थी, लेकिन नौकरी नहीं और कई बार उन्हें उम्मीद के बजाय पुलिस की लाठी मिली। आज वही अखिलेश यादव विकास, तकनीक और एआई का झंडा उठाए खड़े हैं, लेकिन उनके ही शासनकाल का रिकॉर्ड इन दावों की परत-दर-परत पोल खोल देता है।
सच्चाई यह है कि तकनीकी विकास मंचों से दिए गए भाषणों या अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में फोटो खिंचवाने से नहीं होता। इसके लिए मजबूत कानून-व्यवस्था, निवेशकों का भरोसा, उद्योगों का विस्तार और बड़े पैमाने पर कौशल विकास की जरूरत होती है। यही वह मजबूत नींव है, जिस पर एआई, स्टार्टअप और डिजिटल इकोसिस्टम खड़े होते हैं।
बुनियादी जरूरतों को किया गया नजरअंदाज
सपा सरकार के कार्यकाल में इन बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज किया गया। न बड़े उद्योग आए, न रोजगार के अवसर बने और न ही युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की कोई ठोस योजना दिखी। उलटे, माफिया और अपराध के साए में प्रदेश का होनहार युवा गलत रास्तों पर धकेला गया।
इसके बिल्कुल उलट, आज उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक बदली हुई कहानी लिख रहा है। कानून-व्यवस्था में सुधार ने निवेशकों के मन से डर हटाया है और प्रदेश देश के प्रमुख निवेश गंतव्यों में शुमार हो चुका है। सैमसंग, अशोका लीलैंड और वरुण बेवरेज जैसी राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का निवेश सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि युवाओं के लिए वास्तविक अवसरों का संकेत है।
‘घुसपैठियों की पहचान करें, हर जिले में बनाएं डिटेंशन सेंटर…’, CM योगी का जिलाधिकारियों को निर्देश
आईटी पार्क, स्टार्टअप हब और डेटा सेंटर का विस्तार
आईटी पार्क, स्टार्टअप हब और डेटा सेंटर का तेजी से विस्तार इस बात का प्रमाण है कि तकनीकी विकास अब भाषणों से निकलकर जमीन पर उतर चुका है। योगी सरकार की योजनाओं ने इस बदलाव को जन-आंदोलन का रूप दिया है। लखपति दीदी, ओडीओपी, मुख्यमंत्री युवा योजना, कौशल विकास कार्यक्रम और स्टार्टअप प्रोत्साहन जैसी पहल ने युवाओं और महिलाओं के मन में आत्मनिर्भरता का भरोसा जगाया है। डिफेंस कॉरिडोर, जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, अपैरल पार्क और आईटी हब जैसे प्रोजेक्ट्स उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान दे रहे हैं।
कभी बीमारू राज्य कहलाने वाला यूपी आज विकास की दौड़ में अग्रणी राज्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा दिख रहा है।
इसके उलट, अखिलेश यादव के शासनकाल की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, दंगे, खुलेआम गुंडागर्दी और योजनाओं में भ्रष्टाचार ने प्रदेश की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया था। बेरोजगारी भत्ता और पेंशन योजनाओं में अपात्रों को लाभ और योग्य युवाओं की अनदेखी उस शासन की पहचान बन चुकी थी। ऐसे में पीडीए के नाम पर खुद को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताना आज राजनीतिक पाखंड से ज्यादा कुछ नहीं लगता।
आज का उत्तर प्रदेश का युवा न केवल जागरूक है, बल्कि तकनीक को समझता भी है। वह एआई और डीप-फेक के फर्क को पहचानता है। उसे मंचों से परोसे गए सपनों और जमीन पर मौजूद अवसरों के बीच का अंतर साफ दिखाई देता है। यही कारण है कि एआई समिट में दिए गए भाषण और भविष्य के वादे तब तक भरोसेमंद नहीं लगते, जब तक उनके पीछे ठोस नीतियां, निवेश और परिणाम न दिखें।
अखिलेश यादव का एआई और युवा विज़न उनके अपने शासनकाल के रिपोर्ट कार्ड के सामने फीका पड़ जाता है।
अंततः उत्तर प्रदेश की राजनीति आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। युवा अब नारों से नहीं, नतीजों से फैसले करता है। एआई का नाम लेना आसान है, लेकिन भविष्य वही गढ़ सकता है जिसने कानून-व्यवस्था को मजबूत किया हो, निवेश को आकर्षित किया हो और रोजगार के ठोस अवसर पैदा किए हों। आज का टेक्नो-सेवी उत्तर प्रदेश इस सच्चाई को भली-भांति समझता है और किसी भी डीप-फेक राजनीतिक भविष्य के भ्रम में आने वाला नहीं है।
‘हम सब जगह पहुंचेंगे’, ज्ञानवापी-शाही ईदगाह के सवाल पर CM योगी की दो टूक
