AAP MP Raghav Chadha: पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद के शीतकालीन सत्र में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाने के साथ ही किसानों की समस्याओं को भी संसद में रखा। सांसद ने सदन को बताया कि पराली जलाने की समस्या कैसे खत्म हो सकती है। इसके अलावा महंगे हवाई किराये को लेकर आम आदमी का दर्द भी सदन के जरिये देश के सामने रखा। सांसद ने कहा कि हवाई चप्पल वाला तो छोड़िए बाटा शूज पहनने वाला भी प्लेन में सफर नहीं कर पा रहा है और अब वह प्लेन से ट्रेन पर लौट रहा है।

राघव चड्ढा ने राज्यसभा में किसानों की मजबूरी को समझाते हुए कहा कि वे पराली खुशी से नहीं जलाते बल्कि हालात उन्हें मजबूर कर देते हैं। उन्होंने किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही, जिसमें 2000 रुपये केंद्र और 500 रुपये राज्य सरकार की ओर से दिए जाएं।

सांसद बोले- AQI की बात करनी होगी

सांसद ने कहा, “हम AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की बात करते हैं, लेकिन अगर हमें प्रदूषण से निजात पानी है, तो हमें AQI की बात करनी होगी।” उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है। दिल्ली के अलावा भागलपुर, मुजफ्फरनगर, नोएडा, आगरा, फरीदाबाद जैसे कई शहरों में स्थिति बदतर है।

चड्ढा ने स्पष्ट किया कि पराली जलाना वायु प्रदूषण की एकमात्र वजह नहीं है और किसानों को दोष देना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि पंजाब में पहले के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं हैं। उन्होंने सदन को बताया कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 70 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। जबकि एमपी, राजस्थान और यूपी में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं।

किसानों को बना देते हैं अपराधी

राघव चड्ढा ने कहा कि हर साल नवंबर आते ही किसानों को वायु प्रदूषण का दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने कहा, “पूरे साल हम कहते हैं कि किसान हमारे अन्नदाता हैं, लेकिन जैसे ही पराली जलाने का समय आता है, उन्हें अपराधी मान लिया जाता है।

सांसद ने IIT की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पराली जलाना वायु प्रदूषण के कई कारणों में से एक है, लेकिन इसका सारा दोष किसानों पर डालना गलत है।

सांसद ने कहा कि कोई भी किसान खुशी से पराली नहीं जलाता। धान की फसल कटने के बाद किसानों के पास केवल 10-12 दिनों का समय होता है, जिसमें उन्हें खेत खाली करना होता है ताकि अगली फसल बोई जा सके। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर और पैडी चॉपर जैसी मशीनें बहुत महंगी होती हैं और इसका खर्च प्रति एकड़ 2000 रुपये तक आता है। ऐसे में वे इतना पैसा कहां से लाएंगे? छोटे किसान ये खर्च नहीं उठा सकते।

चड्ढा ने कहा कि पराली जलाने से सबसे अधिक नुकसान किसानों और उनके परिवारों को होता है, जो जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होते हैं। यह मुआवजा किसानों को पराली जलाने से रोकने में मदद करेगा और प्रदूषण को कम करेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि इस योजना से किसान पराली जलाना बंद कर देंगे और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।

चड्ढा ने लॉन्ग-टर्म समाधान के तौर पर फसल विविधीकरण (Crop Diversification) की वकालत की। उन्होंने बताया कि पंजाब ने देश के खाद्य संकट को हल करने के लिए धान की खेती शुरू की थी, लेकिन इसके कारण पंजाब का पानी 600 फीट नीचे चला गया और मिट्टी खराब हो गई। चड्ढा ने कहा कि अब समय आ गया है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को धान की खेती से हटकर मक्का, दालें, तिलहन और कपास जैसी फसलों की ओर बढ़ने की दिशा में काम करना चाहिए।

इसके अलावा सांसद राघव चड्ढा ने हवाई यात्रा की बढ़ती कीमतों की ओर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया। चड्ढा ने कहा कि आम आदमी का प्लेन में सफर करना महंगा हो गया है। सांसद ने संसद में भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पर चर्चा करते हुए देश के आम नागरिकों की हवाई यात्रा से जुड़ी चुनौतियों को सामने रखा। उन्होंने हवाई यात्रा को आम जनता के लिए सुलभ बनाने और इसमें सुधार लाने की जरूरत पर जोर दिया।

‘हवाई यात्रा के किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी’

सांसद ने कहा, “सरकार ने वादा किया था कि हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई जहाज में यात्रा करवाएंगे लेकिन हो रहा है इसका उल्टा। आज हवाई चप्पल तो छोड़िए, बाटा के जूते पहनने वाला भी हवाई यात्रा का खर्चा नहीं उठा सकता।” उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल के भीतर हवाई यात्रा के किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ा है।

चड्ढा ने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली से मुंबई और पटना जैसे सामान्य रूट्स पर टिकटों की कीमतें 10,000 से 14,500 रुपये तक पहुंच गई हैं। उन्होंने मालदीव का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार मालदीव के बजाय लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर प्रचारित कर रही है, लेकिन मालदीव का किराया 17 हजार रुपये है, तो वहीं लक्षद्वीप का किराया 25 हजार रुपये है।

एयरपोर्ट्स की हालत बस अड्डों से भी बदतर: सांसद

सांसद ने कहा कि देश के एयरपोर्ट्स की हालत बस अड्डों से भी बदतर हो गई है। लंबी लाइनों, भीड़भाड़ और खराब प्रबंधन के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस स्थिति को सुधारने और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग की।

सांसद ने कहा कि एक आम व्यक्ति एयरपोर्ट तक टैक्सी में 600-700 रुपये देकर पहुंचता है, वहां पहुंचकर उसे पता लगता है कि फ्लाइट 3 घंटा लेट है। उन्होंने एयरपोर्ट्स पर महंगे खानपान के विषय पर कहा, “एयरपोर्ट्स पर पानी की बोतल 100 रुपये की मिल रही है। एक कप चाय के लिए भी 200-250 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। क्या सरकार एयरपोर्ट्स पर सस्ते और उचित मूल्य की कैंटीन शुरू नहीं कर सकती?”

चड्ढा ने सदन को बताया कि देश के कई प्रमुख पर्यटन स्थलों तक एयरपोर्ट से पहुंचना कठिन है और टूरिस्ट स्पॉट्स और एयरपोर्ट्स के बीच कनेक्टिविटी न होने के कारण हमारा पर्यटन प्रभावित हो रहा है। सांसद ने कहा कि हम इस वजह से पोटेंशियल टूरिज्म खो रहे हैं।

कार पार्किंग शुल्क पर भी बोले सांसद

राघव चड्ढा ने एयरपोर्ट्स पर ज्यादा कार पार्किंग शुल्क का भी मुद्दा उठाया और कहा कि छोटी जगहों पर पार्किंग चार्ज 200-250 रुपये प्रति घंटे तक पहुंच गया है, जबकि बड़े एयरपोर्ट्स पर यह 220 रुपये प्रति घंटे है। दिल्ली एयरपोर्ट पर पार्किंग के इन ऊंचे शुल्कों के चलते टैक्सी चालक भी अतिरिक्त खर्च यात्रियों से वसूल रहे हैं और इस महंगे शुल्क का बोझ आम जनता को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने एयरपोर्ट्स पर पार्किंग चार्ज के इन असामान्य दरों को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया।

ओवरवेट बैगेज पर एयरलाइंस यात्रियों से हो रही वसूली

सांसद राघव चड्ढा ने ओवरवेट बैगेज चार्जेज के मसले पर बात करते हुए कहा कि आजकल हवाई यात्रा में यात्रियों को बैगेज चार्जेस और बैगेज डिलेज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक किलो ओवरवेट बैगेज पर एयरलाइंस हजारों रुपये तक के अतिरिक्त चार्ज वसूल करती हैं, जिससे कई बार यात्री सामान छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बैगेज डिलेज की समस्या पर उन्होंने कहा कि बहुत बार स्क्रीन पर “बैगेज ऑन बेल्ट” लिखा होता है, लेकिन आम यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस स्थिति को लेकर सरकार से आग्रह है कि इस मुद्दे को शीघ्र हल करने के लिए कोई स्थिर नीति बनाई जाए।

फ्लाइट में देरी और कैंसिलेशन पर जताई चिंता

आप सांसद ने फ्लाइट में देरी होने और कैंसिलेशन को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ”लोग मंजिल पर जल्दी पहुंचने के लिए महंगी हवाई यात्रा का विकल्प चुनते हैं, लेकिन फ्लाइटें चार से पांच घंटे तक लेट हो जाती हैं। खास तौर पर छोटे शहरों में यह बड़ी समस्या है, जहां फ्लाइट घंटों लेट होती हैं। ऐसी स्थिति में कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं होता।”

उड़ान योजना पर उठाए सवाल

सांसद ने कहा कि भारत सरकार ने “उड़े देश का आम नागरिक; उड़ान योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य आम नागरिक को सस्ती हवाई यात्रा प्रदान करना था, लेकिन इसके बावजूद हवाई यात्रा की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। इस योजना के बावजूद दो एयरलाइंस कंपनियों गो एयर और जेट एयरवेज ने अपनी सेवाएं बंद करना शुरू कर दीं और तीसरी स्पाइस जेट बंद होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक के लिए सस्ती यात्रा का सपना अधूरा ही रह गया है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि देश का आम नागरिक प्लेन से वापिस ट्रेन पर जा रहा है।

सांसद ने एविएशन सेक्टर में बढ़ते एकाधिकार को लेकर कहा कि मौजूदा दो एयरलाइंस कंपनियां मनमाने दामों पर टिकट बेच रही हैं। उन पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं है। सरकार को इस क्षेत्र में नई कंपनियों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और सेवाओं में सुधार हो। राघव चड्ढा ने अपने भाषण में कहा कि हवाई यात्रा आज भी आम नागरिकों के लिए एक सपना है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह हवाई यात्रा को सरल, सस्ता और सुविधाजनक बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।

आप सांसद ने कहा, “देश की तरक्की के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम का सशक्त होना जरूरी है। जब यात्रा की रफ्तार बढ़ेगी, तभी देश आगे बढ़ेगा।”

अंत में उन्होंने चंद लाइनें बोल कर आम आदमी के दर्द को संसद के सामने रखा…

“कहीं हैं लंबी लाइनें
कहीं चेक-इन से पहले काउंटर बंद
कहीं स्लो चल रहा है सर्वर
कहीं इंटरनेट है मंद
महंगे टिकट के बाद भी यात्रा की कोई गारंटी नहीं
आपका सामान चाहे टूटे चाहे फूटे कोई वारंटी नहीं
जो हाल है बस अड्डों का
वही तस्वीर आती है एयरपोर्ट से
चाय हो या समोसा
नहीं मिल रहा 500 रुपये के नोट से
रोज फ्लाइटें रद्द हो रही हैं
धमकी-बम विस्फोट से
कब तक आम आदमी मरता रहेगा एयरपोर्ट की छत गिरने की चोट से
जनता की मुश्किलें तो पल भर में मिट जाएं
अगर सरकार को फुर्सत मिल जाए चुनाव या वोट से।”