बिहार के वैशाली को मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार आज बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। नीतीश कुमार मंगलवार को वैशाली में 550.48 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन म्यूजियम और स्मारक स्तूप का लोकार्पण करेंगे। यह स्तूप वैशाली की ऐतिहासिक भूमि पर 72 एकड़ में बनाया गया है। इसके बौद्ध अनुयायियों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बनने की पूरी उम्मीद है।

मंगलवार को वैशाली में होने जा रहे उद्घाटन समारोह में चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, मलेशिया, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया, मंगोलिया, लाओस, बांग्लादेश और इंडोनेशिया सहित 15 देशों के बौद्ध भिक्षु एवं अनुयायी वैशाली में जुटेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने X पर अपने एक पोस्ट में कहा, “यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि बुद्ध सम्यक दर्शन म्यूज़ियम सह स्मारक स्तूप, वैशाली का उद्घाटन 29 जुलाई, 2025 को किया जाएगा। यह बिहार के लिए गर्व का विषय है कि 15 देशों के बौद्ध भिक्षु और अनुयायी इस ऐतिहासिक अवसर पर यहाँ आ रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यह स्तूप बिहार की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक बौद्ध परंपरा का भव्य प्रतीक है। यह स्मारक वैशाली को वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा और पर्यटन, संस्कृति एवं रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा।”

बुद्ध सम्यक दर्शन म्यूजियम सह स्मारक स्तूप की बड़ी बातें

यह पहली बार है जब भारत के इतिहास में कोई स्तूप पूरी तरह पत्थरों से निर्मित किया गया है।

इसमें सीमेंट, ईंट या कंक्रीट का उपयोग नहीं किया गया है।

स्तूप की ऊंचाई 33.10 मीटर, आंतरिक व्यास 37.80 मीटर, और बाहरी व्यास 49.80 मीटर है, जो प्रसिद्ध सांची स्तूप से लगभग दोगुना है।

निर्माण में राजस्थान के बंशी पहाड़पुर से लाए गए 42,373 बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जिन्हें टंग एंड ग्रूव तकनीक से जोड़ा गया है, बिना किसी चिपकाने वाले पदार्थ के।

यह संरचना भूकंप रोधी तकनीक से तैयार की गई है।

स्मारक के विशेष आकर्षण

स्मारक के प्रथम तल पर भगवान बुद्ध की अस्थि कलश रखी गई है, जो 1958 से 1962 के बीच हुई खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी।

स्तूप के चारों ओर लिली तालाब, सुंदर मूर्तियाँ और लैंडस्केपिंग इसे दर्शनीय बनाते हैं।

सांची से प्रेरित भव्य प्रवेश द्वार, 32 स्काइलाइट्स के ज़रिए प्राकृतिक रोशनी और हवा का प्रवाह, इस स्थल को वास्तुशिल्प दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

यहां भगवान बुद्ध की मूर्ति ओडिशा के कलाकारों द्वारा तैयार की गई है, जो इस स्थल की पहचान बन जाएगी।