लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय सेना की सर्जिकल स्‍ट्राइक का देशवासियों ने समर्थन किया है। सेना के मुताबिक, उसने बुधवार रात को एलओसी पार कर पीओके में स्थित आतंकियों पर धावा बोला। हमले में कई आतंकी मारे गए और भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ। अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की कोशिशों के बीच सैन्‍य कार्रवाई ने उन आवाजों को भी शांत करा दिया है जो केन्‍द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर नरमी का आराेप लगा रही थीं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को उरी में आर्मी कैंप पर हुए हमले के करीब आठ घंटे बाद ट्वीट किया था। तब उन्‍होंने कायराना हमले की निंदा करते हुए देश को भरोसा दिलाया था कि इस हमले को अंजाम देने वालों को इसकी सजा जरूर दी जाएगी। इसके बाद, कुछ दिनों तक मोदी ने वरिष्‍ठ मंत्रियों और सेना के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कीं। जिसमें इसी बात पर चर्चा हुई कि पाकिस्‍तानी धरती पर पल रहे आतंकवाद से कैसे निपटा जाए। तब खबर आई थी कि प्रधानमंत्री हमले के बाद काफी गुस्‍से में हैं, मगर उन्‍होंने सार्वजनिक मंचों से इसे लेकर ज्‍यादा कुछ नहीं कहा। मोदी ने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को भी स्‍पष्‍ट निर्देश दिए थे कि वे गोवा छोड़कर सीमा पर ध्‍यान दें।

एलओसी को लेकर पीएम ने बुलाई बैठक, देखें वीडियो: 

25 सितंबर को जब मोदी ‘मन की बात’ में देशवासियों से मुखातिब हुए, तब तक देश में पाकिस्‍तान के खिलाफ सैन्‍य कार्रवाई करने की मांग जोर पकड़ चुकी थी। सवाल उठने लगे थे कि आखिर मोदी 2014 से पहले 1 जवान के बदले 10 का सिर लाने की बात किया करते थे, अब सत्‍ता में आने के बाद वे चुप क्‍यों हैं। ‘मन की बात’ में मोदी ने साफ कर दिया कि ‘सेना बोलती नहीं है, सेना पराक्रम करती है। हमें भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है और उन पर गर्व है।’ शायद यह एक इशारा था कि उनके दिमाग में क्‍या चल रहा है। इसके बाद ही पाकिस्‍तान को किनारे करने का असली काम शुरू हुआ। संयुक्‍त राष्‍ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा तो एक जूनियर अफसर ने पाकिस्‍तानी पीएम नवाज शरीफ के दावों को खोखला साबित किया। प्रधानमंत्री तब भी चुप रहे और सवाल उठते रहे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी तब मिली जब इस्‍लामाबाद में होने वाले से सार्क सम्‍मेलन से भारत के कदम खींचने के बाद बांग्‍लादेश, भूटान और अफगानिस्‍तान ने भी वहां जाने से मना कर दिया। इससे अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पाकिस्‍तान की खासी किरकिरी हुई। दो दिन तक दबाव बनाने के बाद बुधवार रात को सेना की सर्जिकल स्‍ट्राइक ने पाकिस्‍तान समेत उन अालोचकों को भी स्‍तब्‍ध कर दिया जो मोदी के ’56 इंच के सीने’ वाले दावे का मजाक उड़ाने लगे थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह। (Source: PTI)

इस पूरे घटनाक्रम में अहम बात यह रही कि सरकार की तरफ से लगातार यह पोजिशन बरकरार रखी गई कि भारत जवाब जरूर देगा। दूसरी तरफ, पाकिस्‍तान के रक्षा मंत्री द्वारा बार-बार परमाणु बम की धमकी दिए जाने से भी भारत का पक्ष मजबूत हुआ। पाकिस्‍तान को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बेनकाब करने के लिए जरूरी उकसावा काम आया और पिछले सप्‍ताह भर में जिस तरह के बयान सीमा पार से आए हैं, उससे यह बात साफ होती है। विदेशी मीडिया ने भी चेताया था कि पाकिस्‍तान नरेंद्र मोदी के संयम को उनकी कमजोरी न समझे।

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