शशिप्रभा तिवारी
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से हुए योग नृत्य समारोह में विभिन्न शास्त्रीय नृत्य शैलियों में योग के संयोग को दर्शाया गया। इस प्रस्तुति में नृत्य के जरिए हठ, राज, कर्म, भक्ति और ज्ञान योग के जीवन में समावेश को चित्रित किया गया। नृत्य में योग के समावेशित रूप के संदर्भ में कथक नृत्यांगना शोवना नारायण ने कहा कि नृत्य ही योग है और योग ही नृत्य है। हमारे शास्त्रीय नृत्यों में योग के आठों अंगों का अनुसरण करते हुए, समाधि प्राप्त करने की बात की जाती है। नृत्य या संगीत या कला में यह स्थिति तभी आती है जब कलाकार नर्तक न रहकर नृत्यमय हो जाता है या गायक या वादक संगीतमय हो जाता है। इसलिए हमारा शरीर मंदिर है और आसन हमारी प्रार्थना है।
योग नृत्य समारोह में अनेक गुरुओं के शिष्य-शिष्याओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। इनमें शामिल गुरु व कलाकार थे-राजकुमार सिंहजीत सिंह, जयराम व वनश्री राव, भारती शिवाजी, माधुमिता राउत, मालती श्याम, प्रतीशा सुरेश, स्वागता सेन पिल्लै, राकेश साईं बाबू, चेतन जोशी, प्रशांत पाई व के वेंकटेश्वरन।
समारोह का आगाज राग जोग में गणपति स्तुति, सूर्य मंत्र व तराने के गायन से हुआ। राकेश साईं बाबू की नृत्य परिकल्पना को छऊ नृत्य पेश किया। छऊ के कलाकारों ने लयात्मक अंग, पाद, हस्त संचालन से सुंदर शुरुआत की। उन्होंने नृत्य में कई तरह की भ्रमरी, गतियों और चलन का प्रयोग किया। अगले अंश में राजकुमार सिंहजीत सिंह के सिखाए गए कृष्ण रास को कलाकारों ने पेश किया। कृष्ण स्तुति-श्रीकृष्ण नाम, छंद-झनन-झनन नूपुर, रचना-श्रीकृष्ण कुंज रास में पिरोई गई, प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं ने सामूहिक नृत्य पेश किया।
गुरु जयराम व वनश्री राव ने भी इस कार्यशाला में युवा व बाल कलाकारों को कुचिपुड़ी नृत्य से परिचित करवाया। उनकी शिष्याएं और नव-प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षणार्थियों ने विनायक स्तुति पेश की। यह रचना श्रीविघ्नराजं भजेहं पर आधारित थी। इसके अगले अंश में उनकी शिष्याओं ने युगल नृत्य तरंगम पेश किया। यह रचना शिव-शिव भव तव शरणम में निबद्ध थी। नृत्यांगनाओं ने इस प्रस्तुति में शिव के मोहक रूप का विवेचन किया। इसके अगले अंश में चलन व पैर की विभिन्न गतियों को पद संचालन के जरिए प्रस्तुत किया। यह पेशकश काफी सधी हुई थी। कथक नृत्य गुरु मालती श्याम से प्रशिक्षण प्राप्त बालिकाओं ने गुरु वंदना पेश की। इसके अगले चरण में उनकी शिष्याओं ने तराने पर कथक की बारीकियों को दर्शाया। उनके नृत्य में कथक की परण, टुकड़े, तिहाइयों और गत निकास का संतुलित प्रयोग दिखा।
समारोह में भारती शिवाजी से प्रशिक्षण प्राप्त बालिकाओं ने मोहिनीअट्टम के आधारभूत तकनीक पक्ष को प्रस्तुत किया। इसके अलावा, गुरु मायाधर व मधुमिता राउत की नृत्य रचनाओं को भी बालिकाओं ने पेश किया। इसमें उन्होंने योग आधारित भंगिमाओं-वज्रासन, गोमुख , अधर्चीरा, पद्मासन आदि को बटु नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया। यह बटु नृत्य राग भोपाली और एक ताली में निबद्ध थी। ओडिशी की तकनीकी पक्ष को दर्शाने वाली इस प्रस्तुति में विभिन्न करणों को सुंदर तरीके से पिरोया गया। समारोह का समापन कर्नाटक संगीत की प्रस्तुति से हुआ। इसे गायक के वेंकटेश्वरन ने परिकल्पित किया था

