उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने जो फैसले लिए हैं उससे लगता है कि सरकारी दफ्तरों-स्कूलों की साफ-सफाई और गली-मोहल्लों में घूमने वाले शोहदों की धरपकड़-पिटाई ही उनके सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। सीएम योगी का दावा है कि उत्तर प्रदेश पिछले डेढ़ दशकों में कुशासन का शिकार रहा है और इसलिए वो विकास की दौड़ में दूसरे राज्यों से पिछड़ गया है। 19 मार्च को राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने जो भी फैसले उनसे ये कत्तई नहीं लगता कि वो यूपी की वास्तविक समस्याओं को दूर करना उनके एजेंडे में हैं। हम आपको कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाएंगे जो “बिमारू” कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश का असल रोग बताती हैं जिनकी दवा सीएं योगी को करनी है।

1- मोहम्मद अखलाक की हत्या- 

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उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस रखने के आरोप में भीड़ द्वारा पीटकर मार डाले गए मोहम्मद अखलाक। (तस्वीर- इंडियन एक्सप्रेस)

साल 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा गोमांस खाने के संदेह पर पीट-पीट कर मार डालने की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। इस घटना की गूंज पूरी दुनिया में सुनायी दी। उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी वाला राज्य है। सूबे की करीब 20 करोड़ आबादी में लगभग 19 प्रतिशत मुसलमान हैं। इस घटना में जिस तरह अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति को महज अफवाह के आधार पर स्थानीय लोगों ने मार डाला उससे देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। योगी आदित्य नाथ भी सीएम बनने से पहले तीखे सांप्रदायिक भाषण देने के लिए जाने जाते रहे हैं। सीएम योगी के रिकॉर्ड देखते हुए देश-विदेश हर जगह उनके राज में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अमनचैन को लेकर आशंका है। योगी ने भले ही गद्दी संभालने के बाद कहा है कि उनके शासन में किसी के संग भेदभाव नहीं होगा लेकिन उन पर यकीन कम ही लोगों को होगा।

2- मुजफ्फनगर दंगे- 

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मुजफ्फरनगर दंगे में जला हुआ एक अल्पसंख्यक का मकान। (तस्वीर – इंडियन एक्सप्रेस)

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए दंगों में 62 लोग मारे गए थे। मरने वालों में 42 मुस्लिम और 20 हिंदू थे। इन दंगों में करीब 50 हजार मुसलमानों को अपना घर छोड़ना पड़ा। भाजपा नेताओं के ऊपर इन दंगों को भड़काने के आरोप लगे। संसद में सीएम योगी ने कहा कि वो उत्तर प्रदेश को “उत्तम प्रदेश” बनाकर सभी सांसदों को वहां बुलाएंगे। सवाल ये है कि उनके “उत्तम प्रदेश” में मुजफ्फरनगर के पीड़ित अपने घरों में लौट सकेंगे और उन्हें न्याय मिल सकेगा?

3- बदायूं रेप केस – 

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बदायूं गैंग रेप मामले में दो नाबालिग लड़कियों की लाश पेड़ से लटकी मिली थी। (पीटीआई फोटो)

साल 2014 में उत्तर प्रदेश के बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों के शव पेड़ से लटके हुए मिले। पहले दोनों लड़कियों के संग सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या का आरोप लगा। बाद में सीबीआई ने जांच के बाद कहा कि लड़कियों के बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। इस मामले में अभी अदालत का फैसला नहीं आया है। इस हत्या ने प्रदेश में महिलाओं के संग होने वाले अपराधों की तस्वीर पूरी दुनिया के सामने ला दी। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में देश में सबसे बुरी स्थिति यूपी की थी। साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 35,527 मामले दर्ज हुए थे। वहीं साल 2015 में यूपी में महिलाओं के संग रेप के 3025 मामले दर्ज हुए थे।

4- 15 रुपये के लिए दलित दंपति की हत्या- 

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यूपी के मैनपुरी में 15 रुपये के लिए मार डाले गए दलित दंपति का घर (तस्वीर- इंडियन एक्सप्रेस)

अगस्त 2016 में देश तब हिल गया जब मीडिया में खबर आयी कि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक दुकानदार ने 15 रुपये का उधार न चुकाने के कारण एक दलित दंपति की हत्या कर दी। रिपोर्ट के अनुसार दंपति ने दुकानदार से अपने बच्चों के लिए 15 रुपये के बिस्किट उधार लिए थे। उधार न देने पाने की वजह से हुए विवाद ने दुकानदार ने दोनों की जान ही ले ले। आप ये समझें कि दलितों के संग क्रूरता का ये अकेला मामला है। नेशनल कमिशन फॉर शेड्यूल कॉस्ट (एनसीएससी) के आंकडो़ं के अनुसार साल 2015 में दलितों के खिलाप सबसे अधिक मामले यूपी में दर्ज हुए थे। साल 2015 में प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध के 8,946 मामले दर्ज हुए थे। सीएम योगी को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके राज्य में प्रदेश की सबसे वंचित और पीड़ित आबादी भी सुरक्षित रहेगी।

5- “सबका साथ, सबका विकास” में “सबका इलाज”?-

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक शख्स अपने बीमार बेटे को कंधे पर लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकता रहा था।

ओडिशा के आदिवासी द्वारा अपने पत्नी के शव को कंधे पर ढोकर अस्पताल से घर जाने वाले दीना मांझी की तस्वीरों के सदमे से देश अभी उबरा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में अपने बीमार बेटे को कंधे पर लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते पिता की तस्वीरों ने लोगों का सीना छलनी कर दिया। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था कितनी जर्जर हो चुकी है ये बात किसी से छिपी नहीं है। सरकार अस्पताल अगर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के शिकार हैं तो प्राइवेट अस्पताल मुनाफाखोरी और जालसाजी के। सीएम योगी क्या प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की सुध लेंगे?

6-  महिला सुरक्षा और गुंडाराज- 

पिछले साल उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक महिला की डंडे से पिटाई करते गुंडातत्व का वीडियो वायरल हो गया था। महिला के अनुसार वो अपने पति के साथ स्थानीय सब्जी मंडी गयी थी जहां शोहदों ने उसके संग छेड़खानी की। विरोध करने पर वो उसकी और उसके पति की पिटाई करने लगे। ये मामला महिला सुरक्षा के साथ ही गुंडातत्वों के दुस्साहस की भी कहानी कहता है। योगी आदित्य नाथ के सीएम बनने के बाद राज्य में बसपा नेता की हत्या हो जाने के बाद इस आशंका बढ़ गयी है कि सत्ता बदलने के साथ ही क्या गुंडों के केवल चेहरे बदलेंगे, प्रदेश को गुंडाराज से छुटकाना नहीं मिलेगा?

7- पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार- 

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उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाहियों के बीच घूस के पैसे के बंटवारे को लेकर हुए झगड़े का वीडियो वायरल हो गया था।

उत्तर प्रदेश में कुशासन की कोई भी कहानी यूपी पुलिस के कारनामों के बिना अधूरी रहेगी। पिछले साल जब यूपी पुलिस के कुछ सिपाहियों का घूस के पैसे को लेकर मारपीट की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तो इस महकमे के अंदरखाने की सड़ांध एक बार फिर नग्न तरीके से दुनिया के सामने आ गयी। योगी ने सीएम बनते ही 100 पुलिसवालों को निलंबित करके और लखनऊ स्थित हजरतगंज थाने का औचक निरिक्षण करके पुलिस सुधार की कोशिश के संकेत भले दिए हों लेकिन यूपी पुलिस के चाल, चरित्र और चेहरे में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने अभी बाकी हैं।