पिछले हफ्ते, मुझे फिर से जान से मारने की धमकी मिली। यह धमकी केरल के एक ISIS-ओरिएंटेड आतंकियों के समूह, अंसार खिलाफा की तरफ से आई थी। अगर किसी ग्रुप के नाम के साथ ISIS जुड़ा होता है तो मैं यह मान लेती हूं कि वे मार-काट में दक्ष होंगे। मैं कभी-कभी अपनी गर्दन छूती हूं, सिर के पीछे हाथ भी ले जाती हूं, यह समझने के लिए कि उस वक्त मुझे कैसा लगेगा जब वे मेरी पीठ में चाकू घोंप देंगे, या मुझे काट डालेंगे। शायद यह बेहतर होगा कि वह मुझे सिर में गोली मार दे। मैंने जिंदगी में बहुत कुछ सहा है, मौत के वक्त और नहीं सहना चाहती। मौत तुरंत आनी चाहिए। लेकिन क्या वे मेरी बात सुनेंगे? मैं उनके आगे जिंदगी की भीख मांगती खुद को नहीं देख सकती।
ढाका में आतंकी जो चाहते थे, वह उन्हें मिल गया। वे दुनिया को हिलाना चाहते थे, उन्होंने कर दिखाया। वे गैर-मुस्लिमों को मारकर पुण्य कमाना चाहते थे, शायद वे उसमें भी सफल रहे। कैसे वे इतने सारे लोगों, इतने जवान लड़के-लड़कियों को मार पाए? उन्होंने पहले कभी किसी को नहीं मारा था, कैसे वे एक-दो नहीं, बल्कि 20 लोगों को मार सके? असल में, विश्वास लोगों से कई सारे असंभव काम करवा जाता है। मैं नहीं जानती कि इन आतंकवादियों का ब्रेनवॉश किसने किया, लेकिन इनके दिमाग में जो भी भरा गया था, उसपर इन्होंने बिना किसी सवाल के विश्वास कर लिया। काफी कुछ चेचेन्या के दो बॉस्टन बॉम्बर्स भाइयों की तरह, जो दिखते तो स्मार्ट थे, मगर बुद्धि और तर्क की क्षमता उनके पास नहीं थी। धर्म एक सच्चाई है, धामिर्क किताब सच्चाई है। धार्मिक किताब खुद ईश्वर ने लिखी तो जो कुछ भी उसमें लिखा है, उसे आंख बंद कर करना चाहिए। कोई सवाल नहीं, सिर्फ मान लीजिए। परिणाम के तौर पर, उन्होंने शुरुआत से आखिरी तक किताब में जो कुछ भी लिखा है, उस पर भरोसा कर लिया। (बिना उससे जुड़ी बातों को समझे) उन्होंने प्राचीन काल में लिखी गई किताब को समकालीन चश्मे से देखने की कोशिश नहीं की। अगर किताब ने कहा कि उसमें भरोसा ना रखने वालों को मार देना चाहिए, तो उन्होंने सिर्फ यही समझा कि भरोसा ना रखने वालों को मार देना चाहिए, उन्होंने किसी और मतलब को समझने की कोशिश नहीं की।

धर्म द्वारा अंधे किए गए समाज में, जन्म से ही ब्रेनवॉशिंग शुरू हो जाती है। ये लोग जन्म से ही घरों में, स्कूलों में, कॉलेजों में, खेल के मैदान पर, ट्रेंस में, बसों में, टीवी पर, रेडिया पर, फिल्मों में और नाटकों में अपने धर्म की तारीफ सुनकर बड़े हुए हैं। उन्हें बताया गया है कि धर्म का पालन आपको स्वर्ग ले जाता है और अगर आप धर्म का पालन नहीं करते, आपको नर्क में भयंकर सजा भुगतनी पड़ती है। उन्हें बताया गया है कि उनकी धार्मिक किताब ही दुनिया भर की समस्याओं का हल है, धर्म ज्ञान है, धर्म विज्ञान है और धर्म शांति है। अगर आप किसी चीज के बारे में हर समय सुनते रहते हैं, तो यह आपके दिमाग का हिस्सा बन जाता है। बेस तैयार है, आप आसानी से उसपर विश्वास का महल बना सकते हैं। इंसान विज्ञान की लगातार रिसर्च और जटिल गणितीय समीकरणों के मुकाबले धर्म के आसान हलों को हमेशा चुनता आया है। धर्म, इसलिए सभी को आकर्षित करता है- अनपढ़ दैनिक मजदूरी करने वाले से लेकर विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स तक। क्योंकि विज्ञान को समझना धर्म को समझने से आसान नहीं है।
आतंकवादी लंबे समय से नास्तिकों, सेक्युलरों, तर्कवादी ब्लॉग-लेखकों, होमोसेक्सुअल्स, विकासवादी छात्रों और शिक्षकों, हिंदुओं, बौद्ध और र्इसाइयों को मारते रहे हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कभी भी ऐसी मौतों पर अफसोस नहीं जताया। उन्होंने हत्यारों को देश से सुरक्षित जाने दिया। उन्होंने किसी भी हत्यारे के साथ न्याय नहीं किया, उन्होंने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया। उन्होंने किसी को सजा नहीं दी। इसके उलट, उन्होंने नास्तिक ब्लॉगर्स को सजा दी। वह आजाद ख्यालों के खिलाफ बोलती रही हैं। उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के लिए कदम उठाए हैं। फिर उन्हें ढाका कैफे में मरने वालों के लिए संवेदना जाहिर करने का ख्याल क्यों आया? इसके पीछे जरूर राजनीति रही होगी। ढाका कैफे पर हमले में जो मारे गए, वे बुद्धजीवियों और प्रभावशाली लोगों के बच्चे थे, क्या यही वजह थी? या इसलिए कि दुनिया ये देख रही थी कि शहर में हमले के बाद हसीना क्या करेंगी?
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असल में, राजनेता पाखंडी होते हैं। वे सुविधानुसार धर्म को कबूल करते हैं, संपूर्ण धर्म को नहीं। एेसी सोच वाले मुस्लिम पाखंडी हैं। वास्तव में, वे आतंकी पाखंडी नहीं है। उन्हें जो भी कहने के लिए ब्रेनवॉश किया गया, वे किसी तोते की तरह बक जाते हैं। वे अपनी जिंदगी के बारे में नहीं सोचते। वे एक रात आते हैं ये जानते हुए कि वे मारे जाएंगे, उन्हें भरोसा होता है कि वे जन्नत जा रहे हैं। किसी ने उन्हें बताया, समझाया है कि उन्हें जिहाद का इनाम मिलेगा, जन्नत में सबसे ऊंची जगह मिलेगी अगर वे गैर-मुस्लिमों को मारेंगे। विदेशियों को मौत के घाट उतारने के बाद उन्होंने क्रूरता की हद दिखाते हुए अपने मुस्लिम देशवासियों को सुबह बताया, ‘हम यहां सिर्फ गैर-मुस्लिमों को मारने आए हैं। हम आपको नहीं मारेंगे, आप (मुस्लिम) जा सकते हैं। हम जन्नत जा रहे हैं।’
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