मिलन भार्गव
पिछले महीने भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें कश्मीर, गिलगिट-बाल्टिस्तान, बलूचिस्तान आदि पर हो रहे मानवीय अत्याचारों तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए। बलूच नेताओं ने इसका स्वागत किया तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान और चीन की तरफ़ से इस पर गहरी नाराज़गी जताई गई है. आखिर पाकिस्तान और चीन की नाराजगी के कारण क्या है? चीन के नाराजगी का कारण है, चीन के कई नीतिओं पर बलूचियों का समर्थन प्राप्त नहीं होना। कई बलूच संगठन पाकिस्तान और चीन के आर्थिक कॉरिडोर से जुड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना का भी विरोध कर रहे हैं जिसके तहत चीन के शिनझियांग प्रांत को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जोड़ा जाना है।
अभी तक चीन की तरफ से भी बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन का अपना इसमें मुख्य आर्थिक कारण हो सकता है। यह बात तब जाहिर हो गयी जब, चीन नें बलूचिस्तान के मुद्दे को लेकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की 46 बिलियन डालर की परियोजना को किसी भी तरह का नुकसान होने पर भारत को नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहने की बात कही। यह कोई मामूली बात नही है, अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से आजाद होने की स्थिति में आता है तो इसका सीधा नुकसान चीन को भी होगा। यह परियोजना बलूचिस्तान से ही होकर गई है, इसलिए चीन इस मसले पर पाकिस्तान को पूरा सहयोग दे सकता है।
आज तक किसी भारतीय नेता ने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा और आज जब प्रधानमंत्री बोल रहे हैं तो गुलाम बलूचियों को आज़ादी की एक किरण दिखायी देने लगी है। बलूचिस्तान में लोगों पर हो रहे अत्याचार का मामला उठाने के बाद से ही पीएम मोदी बलूचिस्तान के चहेते बन गए हैं । पीएम मोदी की ओर से मुद्दा उठाने के बाद दूसरे देशों में शरण लिए बलूच नेताओं में जहां नया जोश आया है, वहीं इसका असर जमीन पर भी दिखने लगा है। ‘बलूच रिपब्लिकन पार्टी’ के अध्यक्ष एवं बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर खान बुगती के पोते ब्रह्मदाग़ बुगती ने कहा कि बलूचिस्तान की आजादी को लेकर वह आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस संबंध में बोला है। हमारा मानना है कि भारत को यह कदम बहुत पहले उठा लेना चाहिए था। बलूच लोगों के खिलाफ पाकिस्तान के अपराध को वैश्विक समुदाय के लिए चौंकाने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी का आभारी हूं। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में बलूच लोगों की आवाज उठाने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा करता हूं।
क्षेत्रफल के हिसाब से बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, हालांकि चारों प्रांतों के मुक़ाबले वहां की आबादी सबसे कम है। इसकी सीमाएं ईरान और अफ़ग़ानिस्तान से मिलती हैं और ये प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल है। वहां गैस, कोयला, तांबा और कोयले के बड़े भंडार है । लेकिन अब भी बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे ग़रीब प्रांत है। इसके पीछे एक ही कारण नज़र आ रहा है कि पाकिस्तान वहां पर नरसंहार कर रहा है और उनके संसाधनों का भरपूर दोहन कर रहा है पर उसका फायदा उन लोगों को नहीं मिल रहा है । पाकिस्तानी सेना हर रोज दर्जनों युवाओं की हत्या कर रही है। हजारों लोग गायब हैं।
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प्रधानमंत्री के बयान से और भारत के बलूचियों के प्रति सकारात्मक रवैए ने उम्मीद जगा दी है। पाकिस्तान के अत्याचारों से बलूच आबादी के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान उनके बुद्धिजीवियों की हत्या कर रहा है और सोची समझी रणनीति के तहत उनके इतिहास को दबा रहा है। पाकिस्तान द्वारा एक पेज में बस बलूचिस्तान क्षेत्र की घाटी, रेगिस्तान और अन्य भौगोलिक जानकारियां ही मुहैया कराई गई हैं। ऐसा नहीं है कि बलूचिस्तान की संस्कृति ही नहीं है, बलूचिस्तान ने अफगानियों, अंग्रेजों आदि से भी युद्ध किए हैं। बलूचिस्तान की सभ्यता तथा संस्कृति है तो पाकिस्तान उसको कैसे झुठला सकता है? बलूची लोग पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि ईरान तथा अफगानिस्तान में भी बहुत मात्रा में मौजूद हैं। इस क्षेत्र में लापता लोगों की संख्या 25 हजार के पार चली गई है और करीब 25 बलूच पत्रकार मारे जा चुके हैं। पाकिस्तान द्वारा जानबूझकर यहां मीडिया को पनपने नहीं दिया जाता।
बलूचों पर कभी भी विश्व का ध्यान ही नहीं गया, जबकि 1947-48 से ही यहां कहर ढाया जा रहा है। महिलाओं का बलात्कार, बच्चों की हत्या और लोगों को सरेआम मार दिया जाना आम होता जा रहा है, खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। आज बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक उपनिवेश सा बन कर रह गया है, जहां से हर दिन प्राकृतिक संसाधनों का पाकिस्तान द्वारा दोहन किया जाता है। बलूचिस्तानी नेता दिलशाद बलूच बताते है कि, “हमारे यहाँ न तो कोई मानवाधिकार संगठन गया है और न ही अभी तक उनके लोगों की दशा के बारे में विश्व के लोगों तक कोई खबर पहुंचती है कि वे किस हालात में जी रहे है।” बलूचिस्तान को उम्मीद है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को उनकी सांस्कृतिक पहचान नहीं छीनने देंगे।
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