भारत में सड़कों पर कार चलाने और ड्राइविंग के वक्त होने वाली परेशानियों को लेकर लगभग हर व्यक्ति का अपना अलग अनुभव होता है। जिसे ध्यान में रखते हुए हाल ही में एक सर्वे हुआ है जिसे अर्बन मोबिलिटी हैप्पीनेस सर्वे का नाम दिया गया है। इस सर्वे में भारत के प्रमुख शहरों के लोगों के मोबिलिटी पैटर्न और यात्रा करते समय उनके द्वारा झेली जा रही परेशानियों की जानकारी को एकत्र कर एक रिपोर्ट की शक्ल में संजोया गया है।
Urban Mobility Happiness Survey आठ भारतीय शहरों अहमदाबाद, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, दिल्ली एनसीआर, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में संचालित किया गया था। जिसमें से ज्यादातर शहरों को वहाँ के निवासियों द्वारा उनकी रोज़ाना यात्रा के दौरान सामना की जाने वाली चुनौतियों के बारे में पूछा गया है। इस सर्वे में 18 से 37 वर्षों के पुरुष और महिलाएं जिनके पास उनके घर में कम से कम एक कार है को शामिल किया गया है। । इस सर्वे के प्रमुख नतीजे इस प्रकार हैं।
74% लोग अपर्याप्त पार्किंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को एक सामान्य समस्या मानते हैं
भारतीय शहरों में वाहन पार्किंग एक सामान्य समस्या है जिसका सामना कार–मालिकों को करना पड़ता है। सर्वे में शामिल लोगों में से केवल 26% के लिए पार्किंग ढूंढ़ना आसान था, जबकि 74% लोगों को उनके शहरों में पार्किंग की जगहों की उपलब्धता और मैनेजमेंट को लेकर संघर्ष करना पड़ता है। लगभग 64% व्यक्तियों ने बताया कि पार्किंग की अनुपलब्धता के कारण उन्होंने या तो उनकी कार का उपयोग न करने का फैसला किया या पार्किंग की उपलब्धता के अनुसार उनकी योजना में उन्हें एडजस्ट करना पड़ा।
भारत में 71% कार मालिक केवल एक सहयात्री के साथ यात्रा करते हैं
भारतीय शहरों में कार-मालिकों के बीच शेयर्ड मोबिलिटी एक लोकप्रिय प्रैक्टिस नहीं है। सर्वे के करीब 71% लोगों ने बताया कि वे अकेले या ज़्यादा से ज़्यादा एक अन्य यात्री के साथ कार में यात्रा करते हैं। केवल 1% प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वे हमेशा एक से अधिक यात्री के साथ यात्रा करते हैं।
73% शहरी यात्री, यात्रा करने के लिए पर्सनल मोबिलिटी पसंद करते हैं।
आम तौर पर कारों का इस्तेमाल शहर के भीतर यात्रा करने के लिए किया जाता है, 73% लोगों ने काम पर जाने या कॉलेज जाने के लिए यात्रा करने के लिए रोजाना या कभी-कभार इस्तेमाल किए जाने की जानकारी दी है। इसके अलावा, घर के कामों, शॉपिंग, सामाजिक मेलजोल या वीकेंड ट्रिप्स के लिए शहरी कार-मालिक उनकी कारों का इस्तेमाल बार-बार करते हैं। सर्वे में शामिल लोगों में से 38% ने बताया है कि वे उनकी कारों का इस्तेमाल आपातकालीन स्थितियों में करते हैं।
पेट्रोल व्हीकल अभी भी पसंदीदा, मगर लोगों ने दिए अलग अलग पावरट्रेन ऑप्शन ट्राई करने के संकेत
जीवाश्म ईंधनों से संबंधित पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के बावजूद प्रमुख भारतीय शहरों में व्यक्तियों की एक उल्लेखनीय और बड़ी तादाद उन व्यक्तियों की है जो अभी भी पेट्रोल पर चलने वाले वाहन पसंद करते हैं। सर्वे के अनुसार 50% लोगों के पास पेट्रोल पर चलने वाले वाहन हैं जबकि 35% लोगों के पास डीजल पर चलने वाले वाहन हैं। फिर भी वैकल्पिक पावरट्रेन टेक्नोलॉजी पर चलने वाले वाहनों का रुख करने वाले कार-मालिकों का ट्रेंड लगातार तेजी से बढ़ रहा है।
81% लोग सामान रखने की जगह का इस्तेमाल लैपटॉप बैग रखने के लिए करते हैं।
सर्वे के नतीजों में खुलासा किया गया है कि करीब 77% लोग उनकी कार में सामान रखने की जगह का इस्तेमाल रोज़ाना करते हैं। इनमें से 81% लोगों ने कहा कि वे सामान रखने की जगह का उपयोग लैपटॉप बैग रखने के लिए करते हैं।
लंबी दूरी और यात्रा का अधिक समय शहरी यात्रा को बनाते हैं दुःखदायी
सर्वे में शामिल करीब 71% लोगों ने कहा कि वे काम पर या कॉलेज जाने के लिए 30 मिनट से लेकर एक घंटे का समय यात्रा में खर्च करते हैं। लगभग 61% लोगों ने स्वीकार किया है कि पाँच साल पहले उनकी यात्रा में जितना समय लगता था, उसकी तुलना में यात्रा समय में बढ़ोतरी हुई है।
फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी ने डाला शहरी लोगों की यात्रा में खलल
ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते पूरे देश में सभी चीज़ों पर इसका प्रभाव देखा गया है और शहरी कार-मालिक इसके लिए अपवाद नहीं हैं। करीब 52% लोगों ने बताया कि ईंधन कीमतों में वृद्धि से वे काफी अधिक प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही 50% लोगों ने कहा है कि ईंधन पर वे हर महीने 6,000 रुपये से अधिक खर्च करते हैं।
शहरों में मौजूद वायु और ध्वनि प्रदूषण चिंता का विषय
शहरों में रहने वालों के लिए वायु और ध्वनि प्रदूषण चिंता का एक प्रमुख कारण है, जो यूएमएचआई के नतीजों में पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित होता है। 80% से अधिक लोगों को महसूस होता है कि उनके शहर की हवा प्रदूषित है। उसी तरह, एक समान अनुपात में सर्वे में शामिल हुए लोगों ने पुष्टि की है कि उनके शहरी इलाकों में ध्वनि प्रदूषण मौजूद है। इसके अलावा, 69% लोगों ने बताया कि कार खरीदते समय पर्यावरण के बारे में विचार करने को वे एक महत्वपूर्ण घटक मानते हैं।
कॉम्पैक्ट स्मार्ट कार अर्बन मोबिलिटी की चुनौतियों का संभावित समाधान
स्मार्ट मोबिलिटी सॉल्यूशंस को लंबे समय से भारत में शहरी गतिशीलता द्वारा सामना की जारी परेशानियों का संभावित जवाब माना जा रहा है। यूएमएचआई सर्वे में यह पाया गया है कि करीब 90% लोगों को लगता है कि छोटी स्मार्ट कार शहर में उनकी यात्रा के समय में कमी ला सकती है और रोजाना उनके द्वारा यात्रा के दौरान सामना की जा रही कई चुनौतियों का हल पेश कर सकती है।
हैप्पीनेस कोशंट का पैमाना
दूरी और सड़कों पर भीड़ के कारण यात्रा का बढ़ा हुआ समय और इसके साथ मौजूद ध्वनि और वायु प्रदूषण भारत के सभी प्रमुख शहरों में यात्रियों की चिंता और घबराहट बढ़ाते हैं। सर्वे में यह पाया गया कि 80% से ज़्यादा लोग शहर में उनकी रोज़ाना की यात्रा के दौरान चिंता और घबराहट महसूस करते हैं। इसके साथ ही सर्वे में मोबिलिटी के लिए चुने गए मानदंडों पर लोगों द्वारा दी गई रेटिंग के आधार पर एक शहर-वार हैप्पीनेस स्कोर कैलकुलेट किया गया है। जबकि कोलकाता, पुणे और चेन्नई ने इस सूचकांक में अच्छी रेटिंग प्राप्त की है, वहीं बैंगलुरू, अहमदाबाद, मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली एनसीआर की रेटिंग इन शहरों में गतिशीलता की स्थिति के संबंध में लोगों की असंतुष्टि प्रदर्शित करती है।
आपको बताते चलें कि, Urban Mobility Happiness Survey के नतीजों की रिपोर्ट को एमजी मोटर (MG Motor) ने प्रकाशित किया है। इस सर्वे को नील्सन द्वारा संचालित किया गया है।