मारुति सुजुकी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता है, जिसके पास हैचबैक से लेकर एसयूवी तक कारों की लंबी रेंज मौजूद है, जिन्हें सबसे ज्यादा कीमत और माइलेज के लिए पसंद किया जाता है। मारुति की मौजूदा रेंज में हम बात कर रहे हैं स्विफ्ट के बारे में, जो अपने स्टाइलिश डिजाइन, माइलेज और कीमत के चलते हैचबैक सेगमेंट की सबसे पॉपुलर कारों में से एक बनी हुई है।
मारुति सुजुकी स्विफ्ट एलएक्सआई इसका बेस मॉडल है, जिसकी शुरुआती कीमत 6,49,000 रुपये (एक्स शोरूम, दिल्ली) है और ये कीमत ऑन रोड होने के बाद 7,28,536 रुपये हो जाती है। इस हैचबैक की कीमत ही वो वजह है, जिसके चलते अक्सर इसे पसंद करने वाले लोग बजट की कमी के चलते इस खरीद नहीं पाते हैं।
अगर आप भी मारुति सुजुकी स्विफ्ट को पसंद करते हैं लेकिन बजट की कमी के चलते इसे खरीदने का प्लान नहीं कर सके हैं, तो यहां जान लीजिए उस स्मार्ट कार फाइनेंस प्लान की डिटेल, जिसके जरिए आप बहुत कम डाउन पेमेंट और ईएमआई के जरिए इस कार को खरीद सकते हैं।
Maruti Swift LXi (Petrol) (Base Model) Finance Plan
ऑनलाइन कार फाइनेंस प्लान कैलकुलेटर के मुताबिक, मारुति सुजुकी स्विफ्ट बेस मॉडल को खरीदने के लिए आपके पास 1 लाख रुपये का बजट है, तो इस आधार पर बैंक की तरफ से 6,28,536 रुपये का लोन जारी किया जा सकता है, जिस पर 9.8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर लागू होगी।
Maruti Swift LXi (Petrol) (Base Model) Down Payment and EMI Plan
मारुति सुजुकी स्विफ्ट बेस मॉडल के लिए लोन अप्रूव होने के बाद आपको 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट देनी होगी और उसके बाद बैंक द्वारा लोन चुकाने के लिए निर्धारित अवधि (5 साल) तक हर महीने 13, 293 रुपये की ईएमआई जमा करनी होगी।
Maruti Swift LXi (Petrol) (Base Model) इंजन एंड माइलेज
मारुति सुजुकी स्विफ्ट को कंपनी ने नए इंजन के साथ मार्केट में उतारा है, जो 1197cc का 1.2-लीटर पेट्रोल इंजन है, जो 68.8 बीएचपी की पावर और 101.8 एनएम का पीक टॉर्क जनरेट करता है। इस इंजन के साथ 5 स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन को जोड़ा गया है। Maruti Swift Mileage को लेकर कंपनी का दावा है कि यह हैचबैक 24.8 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है और इस माइलेज को ARAI द्वारा प्रमाणित किया गया है।
आवश्यक सूचना
अगर आप इस ऑनलाइन स्मार्ट कार फाइनेंस प्लान के जरिए Maruti Swift LXi (Petrol) (Base Model) को खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपकी बैंकिंग और सिबिल स्कोर का ठीक होना जरूरी है। अगर बैंकिंग या सिबिल स्कोर में नेगेटिव रिपोर्ट आती है, तो बैंक लोन अमाउंट, ब्याज दर और डाउन पेमेंट में अपने अनुसार बदलाव कर सकता है।