भारत में जितना बड़ा नई कारों का मार्केट है उतना ही बड़ा मार्केट सेकंड हैंड कारों का भी बनता जा रहा है। सेकंड हैंड कार उन लोगों के लिए बेस्ट ऑप्शन होती हैं जिनके पास नई कार खरीदने का बजट नहीं होता। वर्तमान में लोकल मार्केट डीलर से लेकर ऑनलाइन तक सेकंड हैंड कारों का एक बड़ा स्टॉक हमें देखने को मिलता है जहां लोग अपने बजट और पसंद के हिसाब से यूज्ड कारों को खरीद सकते हैं।
अगर आप भी बजट कम होने के चलते नई कार नहीं खरीद सके हैं और सेकंड हैंड कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो किसी भी सेकंड हैंड कार को खरीदने से पहले यहां जान लीजिए उन जरूरी बातों के बारे में जो न कोई कार डीलर बताएगा, न कंपनी और न सेकंड हैंड कार बेचने वाला सेलर बताएगा, जिन्हें ध्यान में न रखने पर आपको यूज्ड कार खरीदने के बाद घाटा उठाना पड़ सकता है।
कार का सर्विस और टेक्निकल रिकॉर्ड
किसी भी सेकंड हैंड कार को खरीदने से पहले उसका कंप्लीट सर्विस रिकॉर्ड चेक करें और इसके साथ ही उस का का टेक्निकल चेकअप भी करवाएं। अक्सर कार डीलर कार को कम चला हुआ दिखाने के लिए उसके मीटर को टेम्पर करवाते हैं और उसकी रीडिंग को कम कर देते हैं। कार के मीटर में छेड़छाड़ होने के बाद ग्राहक मीटर की रीडिंग देखकर कार के इंजन का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं जिसका खामियाजा उन्हें कार खरीदने के बाद इंजन में खराबी आने पर हजारों रुपये के खर्च के रूप में उठाना पड़ता है।
इंजन हेल्थ की जांच करें
कार डीलर अक्सर अपनी कार के इंजन इंजन को चमका कर रखते हैं और ग्राहक के सामने इंजन की तारीफ करते हैं। लेकिन याद रखिए हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती इसलिए उसकी साफ सफाई और चमक पर न जाकर उस इंजन की जांच अच्छी तरह करें और बेहतर होगा की आप एक एक्सपर्ट कार मैकेनिक से उस इंजन की जांच करवा लें। इंजन में कई ऐसी खराबियां होती हैं जिन्हें सिर्फ एक अच्छा मैकेनिक ही समझ सकता है इसलिए सेकंड हैंड कार खरीदने से पहले इंजन की जांच जरूर कर लें।
गंजे या घिसे हुए टायरों से करें तौबा
सेकंड हैंड कार खरीदते वक्त इंजन के बाद नंबर आता है कार टायर का जो सड़क पर आपकी सुरक्षा से लेकर कार की माइलेज तक में अहम भूमिका निभाते हैं। सेकंड हैंड कारों के टायर अक्सर घिसे हुए होते हैं जिन्हें बदलने का खर्च 20 हजार रुपये तक आता है। अगर कार के टायर आधे खराब हो चुके हैं या ज्यादा पुराने और घिसे हुए हों तो डील करने से पहले कार मालिक से उनको बदलवाने के बाद ही डील करें वरना कार खरीदने के बाद आपको 15 से 20 हजार रुपये और खर्च करने होंगे।
कार के चमकते पेंट पर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं
कार डीलर अक्सर अपनी पुरानी कारों को ज्यादा दाम पर बेचने के चक्कर में उनपर पेंट करवा देते हैं जो कार की सुंदरता तो बढ़ाता है लेकिन कुछ महीनों बाद ही खराब होने लगता है। चमकती हुई कार को देखकर अक्सर लोग धोखे में आ जाते हैं और कार खरीद लेते हैं।
याद रखिए कार को रीपेंट ज्यादातर दो कंडीशन में किया जाता है। पहली, उस कार का एक्सीडेंट हुआ हो और दूसरी उस कार की बॉडी में गलावट या जंग लगना शुरू हो गया हो। आप गाड़ी के दरवाजों में लगने वाली रबड़ हटाकर और टेलगेट खोलकर वहां बिछी मैट को हटाकर आसानी से पता लगा सकते हैं कि गाड़ी को दोबारा पेंट किया गया है या नहीं।
सस्ते के चक्कर में न जाएं सर्टिफाइड कार ही घर लाएं
कार बेचने वाले डीलर अक्सर कम चली हुई गाड़ी बताकर बेकार गाड़ियों को डेंट पेंट करके बेच देते हैं और ग्राहक को धोखे का पता गाड़ी लेने के बाद उसे ड्राइव करने पर लगता है। इसलिए अपनी मेहनत की कमाई को बचाना चाहते हैं तो कोशिश करें किसी सर्टिफाइड सेंटर से कार खरीदने के लिए जहां आपको कार की कंप्लीट ओरिजिनल डिटेल के साथ उसके इंजन पर भी वारंटी दी जाती है।
आजकल मारुति सुजुकी से लेकर महिंद्रा तक तमाम बड़ी कार निर्माता कंपनियों ने अपने सेकंड हैंड कार आउटलेट खोले हुए हैं आप चाहें तो वहां से भी गाड़ी खरीद सकते हैं।