दुनिया मेरे आगेः मित्रता की परिधि दो अक्षर के इस शब्द ‘मित्र’ का मर्म जितना गहरा है, कर्म उतना ही कठिन है। जीवन-यात्रा में हम आए… By वीणा भाटियाOctober 7, 2016 02:29 IST
स्मरण कॉलम में वीणा भाटिया का लेख : मैं दर्द नूं काबा कैह बैठा बटालवी जिस दौर में लिख रहे थे, वह दौर साहित्य में प्रगतिशीलता का था। छायावाद और रोमांसवाद का दौर खत्म… By वीणा भाटियाUpdated: July 17, 2016 02:06 IST
‘चलन’ कॉलम में वीणा भाटिया का लेख : किशोरों को बचाइए गैजेट से गैजेट के असर से बच्चों में कई तरह की गलत आदतें भी विकसित होने लगती हैं। कई बच्चे आॅनलाइन अश्लील… By वीणा भाटियाJune 19, 2016 00:35 IST
स्मरणः मसिजीवी अमरकांत का लेखन प्रेमचंद के यथार्थवादी लेखन की अगली कड़ी है, जो आजादी के बाद देश के विकास के ढांचे… By वीणा भाटियाFebruary 21, 2016 04:21 IST
मंटो: सबसे ज्यादा बदनाम साहित्यकार Saadat Hassan Manto: मंटो ने खुद और अपने अफसानों के बारे में लिखा है,‘जमाने के जिस दौर से इस वक्त… By वीणा भाटियाUpdated: January 18, 2019 11:49 IST
स्मरण : समय से मुठभेड़ अदम गोंडवी की यह गजल आज के समय में पूरी तरह मौजू है। यही नहीं, अपनी रचनाओं के माध्यम से… By वीणा भाटियाUpdated: December 21, 2015 19:03 IST
सरकारी विज्ञापनों में देवेंद्र फड़नवीस की तस्वीर को लेकर नाराज शिवसेना? क्रेडिट लेने की होड़ पर आया एकनाथ शिंदे का जवाब
‘बात हाथ से निकल जाए उसके पहले…’, स्टेज शो से ब्रेक लेंगे जाकिर खान? स्टैंडअप कॉमेडियन ने बताई इसके पीछे की वजह