ममता राउत नृत्य समारोह में कई कलाकारों ने अलग-अलग नृत्य शैलियों में नृत्य पेश किया। इसमें मधुमिता राउत, जयलक्ष्मी ईश्वर, शशधर आचार्य, कृष्णमूर्ति, किशोर शर्मा, मैरी इलंगोवन, जयप्रभा मेनन, मालती श्याम और स्वागता सेन गुरु के शिष्य-शिष्याओं ने नृत्य पेश किया। एकल और सामूहिक प्रस्तुति से यह तीन दिवसीय समारोह रोशन हुआ। गुरु मधुमिता राउत का कहना था कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य नए कलाकारों को मंच प्रदान करना है, ताकि इनमें आत्मविश्वास पैदा हो। साथ ही, उनमें कला के प्रति समर्पण की भावना जागृत हो।

समारोह का आरंभ गुरु मधुमिता राउत की शिष्याओं की प्रस्तुति से हुआ। उन्होंने जयदेव की रचना ‘जय जगदीश हरे’ पर विष्णु के दशावतार का वर्णन पेश किया। यह गुरु मायाधर राउत की नृत्य रचना थी। अगली शाम कवि कालीचरण पटनायक की रचना ‘जागो महेश्वर योगी दिगंबर’ पर आधारित नृत्य अंकिता की अंतिम प्रस्तुति थी। इसके संगीत की परिकल्पना बालकृष्ण दास ने की थी। शास्त्रीय नृत्य के तांडव पक्ष का प्रयोग इस नृत्य में था। शिव से जुड़े त्रिपुरासुर वध, सती दाह, वीरभद्र भस्म, समुद्रमंथन, गंगावतरण जैसे 18 आख्यानों को नृत्य में दर्शाया गया। शिव के चिदंबरम, लिंगराज, पशुपति, महाकाल, वैद्यनाथ आदि मंदिरों से प्रेरित मुद्राओं व भंगिमाओं को भी नृत्यांगना ने निरूपित किया। उन्होंने महिषासुर मर्दनी पेश किया। यह शंकराचार्य की रचना पर आधारित था।

भरतनाट्यम नृत्य गुरु जयलक्ष्मी ईश्वर और उनकी शिष्याओं ने शिव तांडव स्त्रोत पर नृत्य पेश किया। यह राग दुर्गा और तिश्र आदि ताल में निबद्ध था। उन्होंने मार्कंडेय और कामदेव दहन प्रसंग को खासतौर पर निरूपित किया। उन्होंने सूरदास के पद ‘कहां गई सखी बावरी’ पर अभिनय पेश किया। यह राग मालिका और आदि ताल में निबद्ध था। उनकी अगली पेशकश तिल्लाना थी। इस पेशकश में दशावतार, पंचतत्व और नवग्रह को बखूबी दर्शाया गया। भरतनाट्यम की इस प्रस्तुति में कलाकारों का आपसी सामंजस्य और तालमेल बेहतरीन था।

समारोह की अन्य प्रस्तुति ‘आनंदकंदम’ थी। यह छऊ नृत्य शैली में पिरोई गई थी। इसे सुशांत महाराणा और आरोही अग्रवाल ने पेश किया। यह राग देश में निबद्ध थी। भरतनाट्यम नर्तक शांतनु, भद्रा सिन्हा और गायत्री शर्मा ने ‘महिषासुरमर्दनी पेश किया। यह आदि शंकराचार्य की रचना ‘ए गिरिनंदिनी’ राग मालिका में निबद्ध था। उन्होंने शक्ति तांडव पेश किया। यह राग कंबोजी और आदि ताल में निबद्ध था। समकालीन नृत्य शैली में गुरु किशोर शर्मा के शिष्य-शिष्याओं ने नृत्य पेश किया। समारोह में कथक नृत्य गुरु मालती श्याम की शिष्याओं ने तराने पर नृत्य पेश किया। वरिष्ठ भरतनाट्यम नृत्यांगना गुरु मैरी इलंगोवन ने अपने नृत्य का आरंभ भजन ‘चलो मन गंगा जमुना तीर’ से किया। यह राग वलाचि और आदि ताल में निबद्ध था। उन्होंने मीरा बाई की रचना पर भाव पेश किया।