राजधानी दिल्ली में मणिपुरी नृत्य को लोकप्रिय बनाने में गुरु राजकुमार सिंहजीत सिंह और उनकी पत्नी व नृत्यांगना चारूसिजा माथुर का योगदान महत्वपूर्ण है। दशकों से यहां रहते हुए वे मणिपुरी नृत्य प्रस्तुत करते रहे हैं। मणिपुरी नृत्य के परिधान और साज-सज्जा को दर्शक पसंद करते हैं। लेकिन अभी भी यह नृत्य शैली बहुत ज्यादा प्रचलन में नहीं आ पाई। बहरहाल, इसे लोगों तक पहुंचाने में स्पीक मैके जैसी संस्था ने भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इसी क्रम में विरासत-2019 के तहत नृत्य समारोह आयोजित था।
लेडी इरविन कॉलेज में यह समारोह आयोजित था। मणिपुरी नृत्य विधा के बारे में गुरु राजकुमार सिंहजीत ने कहा कि नृत्य हमारी आत्मा की छिपी हुई धरोहर है। कलाएं, हमारे जीवन को प्रकाशित करती हैं। संस्कृति, देश और सभ्यता को विस्तार देने के लिए, इसकी सांस्कृतिक आत्मा को रोज-रोज तलाशना व तराशना पड़ता है। यही भारत की विशेषता है। हमलोग किसी भी भाषा में अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन, कलाकार अपनी आंगिक चेष्टा और भावों के जरिए अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है। उसके संवाद का जरिया उसकी कला होती है। हालांकि, मणिुपरी नृत्य के विकास व उदय की कहानी थोड़ी अलग है। मणिपुरी नृत्य पूरी तरह जीवन, जीवन के संस्कार और कलाधर्म से जुड़ा हुआ है।
समारोह के दौरान पहली प्रस्तुति बसंत रास थी। इसे चारूसिजा माथुर और उनके साथी कलाकारों ने पेश किया। रास नृत्य मणिपुर में मंदिर के प्रांगण में रात भर किया जाता है। पर मंचीय प्रस्तुति के मद्देनजर इसे संक्षिप्त रूप से कलाकार पेश करते हैं। रचना ‘निकुंज तुम आओ कृष्ण राधासखी’ पर प्रस्तुति आधारित थी। प्रस्तुति में मोहक अंग व पाद संचालन के साथ भ्रमरियों का लयात्मक प्रयोग नृत्यांगनाओं ने किया।
अगली प्रस्तुति पुंग चोलम थी। संकीर्तन पर आधारित पुंग चोलम को पुरुष कलाकारों ने पेश किया। मणिपुर में संकीर्तन सामाजिक व धार्मिक उत्सवों के दौरान आयोजित किया जाता है। यह शिशु जन्मोत्सव, उपनयन संस्कार, विवाह और श्राद्ध के अवसर पर गाया जाता है। इस प्रस्तुति ने समां बांध दिया। इस समारोह के दौरान लेडी इरविन कॉलेज की छात्रा शिल्पा ने कुचिपुड़ी नृत्य पेश किया। उन्होंने रचना ‘मुत्थुकारी यशोदा देवकीसुत’ पर यशोदा और बालक कृष्ण के भावों को विवेचित किया। समारोह में कॉलेज की प्राचार्य डॉ अनूपा सिद्धू, स्पीक मैके की कॉ-आडिर्नेटर श्रद्धा शर्मा, मालविका मजूमदार की उपस्थिति खास रही।

