सवाल : आज की फिल्में पुरानी कला तथा व्यावसायिक फिल्मों के मुकाबले आपकी निगाह में कैसी हैं?
’हमारे समय में जो कला या व्यावसायिक फिल्में बनती थीं, वे समाज को एक संदेश देती थीं और समाज में घट रही घटनाओं और ज्वलंत समस्याओं पर आधारित होती थीं। मेरी कई फिल्मों ने समाज को प्रेरणा दी। मैंने एक फिल्म में सीधी-साधी घरेलू लड़की की भूमिका निभाई थी। मेरा वह रोल तब लड़कियों को ऐसा भाया कि उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरी तरह बनना चाहती हैं। आज भी ऐसी कई फिल्में आई हैं, जिन्होंने कई सम-सामयिक विषयों को जोरदार ढंग से उठाया है और समाज को प्रेरणा दी। वैसे आज अधिकतर फिल्में मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार बन रही है।
सवाल : आप फिल्मी सफर के बाद लेखन के क्षेत्र में क्यों उतरीं?
’मेरा फिल्मी सफर और लेखन का सफर दोनों साथ-साथ चले। यह कहना गलत नहीं होगा कि मेरा लेखन का सफर फिल्मी सफर से पहले शुरू हुआ। कॉलेज के दिनों में मैंने अंग्रेजी साहित्य के कई उपन्यास पढ़े। जो हमेशा मेरे दिलों-दिमाग में रहते हैं। मुझे आत्मकथाओं को पढ़ने का शौक है। मैंने पहली पुस्तक एक योगी की आत्मकथा पढ़ी थी, जिसने मुझे अंतर्मन तक प्रेरित किया। मैं उसे दस से ज्यादा बार पढ़ चुकी हूं। इस पुस्तक ने मुझे आध्यात्मिक शक्ति प्रदान की।
सवाल : आज सोशल मीडिया, फेसबुक, इंटरनेट, टीवी का जमाना है। ऐसे में किताबों के पढ़ने को लेकर युवा पीढ़ी उदासीन हो रही है?
’युवाओं को फेसबुक, वाट्सऐप यूट्यूब वगैरह से दूर रहकर साहित्य-लेखन और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। तभी हम एक सभ्य समाज का निर्माण कर सकेंगे। समाज में घट रहीं यौन उत्पीड़न की घटनाएं हमारे समाज के लिए कलंक और दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
सवाल : क्या आप साहित्य लेखन के साथ-साथ फिल्मों से भी जुड़ना चाहेंगी?
’ मैं एक दशक से ज्यादा समय तक फिल्मों में अत्यधिक व्यस्त रही। लेकिन अब में जीवन के इस पड़ाव के बाद फिल्मी दुनिया से प्रमुखता से जुड़े रहना नहीं चाहती हूं। अब मैं अपना ज्यादातर समय साहित्य साधना में ही बिताना चाहती हूं। हां, यदि मुझे किसी बड़े किरदार के रूप में पर्दे पर काम करने का अवसर मिला तो मैं इस बारे में जरूर सोच सकती हूं। मैं कुछ समय बाद अमेरिका जाने वाली हूं, जिन विषयों को मैंने अभी तक नहीं पढ़ा है, उनका अध्ययन करूंगी।
सवाल : मौजूदा दौर साहित्य के लिए कैसा है और वे युवा पीढ़ी के लेखकों के लिए क्या संदेश देना चाहेगी?
’जीवन में नया करते रहना चाहिए। मैंने जीवन से बहुत कुछ सीखा है और हमेशा सीखते रहना चाहती हूं। सभी को लगातार अध्ययनशील रहना चाहिए। वह आर्य समाज परिवार में पली-बढ़ी हैं। गुरुकुल में आकर मुझे पुराने दिनों की याद आ गई और गौरव का अनुभव कर रही हूं। मैंने अपनी मां से पेंटिंग और पिताजी से लेखन सीखा। माता-पिता से बड़ा गुरु कोई नहीं है। मेरे साहित्य पर आपबीती घटनाओं का बहुत अधिक प्रभाव है।
