इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित ग्रीष्म उत्सव में युगल नृत्य का आयोजन किया गया। नृत्य उत्सव में मोहिनीअट्टम, कथक और शास्त्रीय नृत्य की जुगलबंदी पेश की गई। नृत्यांगना मंजुला मूर्ति, विनया नारायणन, अनिता शर्मा और विधा लाल ने अपने नृत्यों से समां बांधा।

मोहिनीअट्टम नृत्यांगना मंजुला मूर्ति और विनया नारायणन ने गुरु भारती शिवाजी से नृत्य सीखा है। उनके नृत्य में वह सौम्यता और ठहराव नजर आता है, जो भारती के नृत्य में दिखता है। उन्होंने अपने नृत्य के क्रम में कवि जयदेव की गीतगोविंद की अष्टपदी को नृत्य में पिरोया। अष्टपदी ‘धीरे समीरे यमुना तीरे’ में नायक कृष्ण के भावों को दर्शाया गया। यमुना के किनारे, पेड़ के नीचे बैठे कृष्ण, राधा का बेसब्री से इंतजार करते हैं। सखी राधा को उनके भावों के बारे में बताती है और राधा को जल्दी से जल्दी कुंज में जाने को कहती है। नायिका और नायक के भावों को नृत्यांगनाओं ने बड़ी परिपक्वता और बारीकियों से दर्शाया।

केरल के गुरु वायवुर मंदिर में सोपान संगीत शैली में अष्टपदी को गाया जाता है। उसी शैली में अष्टपदी को गायक ने गाया था। ठेठ अंदाज के संगीत पर अभिनय आधारित नृत्य मोहक लगा। अष्टपदी राग केदार गौला व श्री राग और ताल मालिका में निबद्ध थी। भक्ति शृंगार की यह पेशकश जानदार थी।

उनकी पहली पेशकश देवी स्तुति थी। देवी मुकांबिका को निवेदित देवी स्तुति राग हंसानंदी, सौराष्टÑ व श्री और आदि ताल में निबद्ध थी। इसमें कला की देवी मुकांबिका के महासरस्वती, महाकाली, महालक्ष्मी, महामाया और गजलक्ष्मी रूपों का विवेचन नृत्यांगनाओं ने किया। युगल प्रस्तुति की अगली पेशकश मुखचालम थी। यह राग त्रुटि और ताल मालिका में निबद्ध थी। इसमें नृत्यांगनाओं ने मोहिनीअट्टम की तकनीकी बारीकियों को उजागर किया। सप्तजीवा उनकी अंतिम पेशकश थी। इसमें आत्मा से परमात्मा के मिलन को दर्शाया गया। यह राग नटकुरंजी और पुरनीर व ताल मालिका में निबद्ध था। इस प्रस्तुति की नृत्य परिकल्पना गुरु भारती शिवाजी ने की थी।

दूसरी पेशकश कथक नृत्यांगना विधा लाल और शास्त्रीय नृत्यांगना अनिता शर्मा की थी। कथक और शास्त्रीय नृत्य की जुगलबंदी की शुरुआत कृष्णाष्टकम से हुई। रचना ‘सुंदर गोपालम उर बनमालम’ पर आधारित पेशकश में कृष्ण के मोहक रूप का विवेचन किया गया। दोनों नृत्यांगनाओं ने हस्तमुद्राओं और भंगिमाओं के जरिए कृष्ण लीला की मोहक छवि को उकेरा। अगले अंश में नृत्यांगना अनिता शर्मा ने शास्त्रीय नृत्य की तकनीकी बारीकियों को नृत्य में पेश किया। रामदानी और गीतोर नाच में हस्त संचालन और पद संचालन पेश किया। जबकि, कथक नृत्यांगना विधा लाल ने तीन ताल में कथक की दमदार तिहाई, टुकड़े और तोड़ों को प्रस्तुत किया। दोनों नृत्यांगनाओं का आपसी तालमेल सहज था। नृत्य परिकल्पना ‘समन्वय’ की परिकल्पना गुरु गीतांजलि लाल ने की थी। इस प्रस्तुति के संगत कलाकारों में शामिल थे-प्रांशु चतुरलाल, ऋषिशंकर, प्रशांत, विजय पांडेय, शुभो मोहंत, विकास बाबू और सलीम कुमार।