rakesh sinha

राकेश सिन्हा बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। वे डीयू में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे हैं। आरएसएस पर उनके शोध और लेखन ने उन्हें एक प्रमुख विचारक के रूप में स्थापित किया। राकेश सिन्हा कई राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बहस में अपनी सटीक और स्पष्ट विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों पर अनेक लेख और पुस्तकें लिखी हैं


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गाली से राजनीति चमक रही है या लोकतंत्र डूब रहा है? राकेश सिन्हा पूछते हैं – आखिर कहां जा रहे हैं हम?

राकेश सिन्हा ने भारतीय राजनीति में गिरते स्तर पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मां को गाली…

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जनता भूख से मर रही थी, माउंटबेटन को दिया जा रहा था 2000 गुना ज्यादा भत्ता; प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा- कुछ भी गलत नहीं है

अंग्रेजों के जाते वक्त आधे से ज्यादा भारतीय गरीबी रेखा से नीचे थे। 1930 में उनकी रोज़ाना आमदनी सिर्फ दो…

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जयप्रकाश, लोहिया, कर्पूरी, रेणु के बिहार में जात-पात क्यों बना सबसे बड़ी ताकत? क्या ‘संपूर्ण क्रांति की आवाज’ फिर पूछेगी- ‘मैं कौन हूं?’

राजनीति का अपना स्वभाव होता है। वह सुलभ और आसान रास्ते से सफर करना चाहती है। जाति की पीठ की…

Rakesh Sinha ka Blog, Ravivari Stambh
धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर बहस क्यों जरूरी है? 42वें संशोधन की विरासत पर उठते सवाल; राकेश सिन्हा की नजर से समझिए हर पहलू

दत्तात्रेय होसबाले ने जो कहा उसका प्रतिबिंब संविधान सभा में विद्यमान है। केटी शाह संविधान सभा के मुखर सदस्यों में…

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जनसत्ता सरोकार: मोदी के साथ बदला भारत का सोचने का तरीका, अब देश खुद तय कर रहा है अपनी पहचान

2014 के बाद भारत में केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, एक वैचारिक क्रांति हुई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने भारतीय अस्मिता…

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जनसत्ता सरोकार: ‘ऑपरेशन सिंदूर’- आतंकवाद के खिलाफ भारत की संप्रभुता की रक्षा और नई वैचारिक विजय

भारत ने आतंकवादी कार्रवाई को स्थानीयता के आईने से नहीं देखा, बल्कि इसे राष्ट्र पर हमला माना और इसे अंजाम…

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जनसत्ता सरोकार: जाति जनगणना पर विवाद क्यों? विपक्षी सोच और सत्ता पक्ष की विकास धारा में अंतर

हमने लोकतंत्र को राजनीतिक दलों का अखाड़ा मान लिया है। फिर तो जनतंत्र राजनीतिक अखाड़े के नियमों से ही चलेगा।…

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जनसत्ता सरोकार: संघ का शताब्दी वर्ष, अतीत, आलोचना और अनदेखे पहलू  

नैतिक सामर्थ्य की जगह भौतिक सामर्थ्य और प्रसिद्धि की लालसा ही चिंतकों, समाज सुधारकों और सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के निष्प्रभावी होने…

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राकेश सिन्हा का ब्लॉग: वक्फ, परोपकार और सांप्रदायिकता, आखिर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों?

भारतीय परंपरा में परोपकार, सेवा, दान का एक ही लक्ष्य मानवता है। यह सभी संकीर्णताओं को पराजित करता है। शिक्षा,…

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Blog: भारतीय संविधान पर विवाद क्यों? सामाजिक न्याय का आधार या राजनीतिक नैरेटिव?

संविधान को कोई पवित्र ग्रंथ मानना इसके साथ ही अन्याय है। यह शुद्ध रूप से हमारी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था…

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राकेश सिन्हा का ब्लॉग: बौद्धिकता की जिम्मेदारी और समाज में चार्वाक के पुनरागमन का संकट

जब-जब चिंतन सृजन कमजोर पड़ता है, मानव मन हल्केपन का शिकार होता है। कुछ दशकों में कितना परिवर्तन हुआ, यह…

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राकेश सिन्हा का ब्लॉग: RSS का भागवत मंत्र- बताया संघ की बढ़ती ताकत का रहस्य, नायकों को याद कर विरासत पर डाली नई दृष्टि

अनेक संप्रदायों, पूजा पद्धतियों के देश में विविधता की जड़ हमारे स्वभाव में आ गई है। ये विविधताएं संविधान सभा…

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