
राज्य की अर्थव्यवस्था के घोर कुप्रबंधन को लेकर अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं। ‘डबल इंजन’ वाली सरकार के दावे…
अगर रेपो दर बढ़ती है, तो मुद्रास्फीति पर नजर रखने वाले खुश होते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इससे…
यह मान लेना विश्वास की छलांग है कि इन सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है। अभी भी अविश्वास की…
संघ प्रमुख ने उल्लेखनीय भाषण जुलाई में दिया, जिसमें भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘एक आदमी सुपरमैन…
किसी भी पार्टी के लिए राष्ट्रीय समिति पर्याप्त नहीं है, जो तीन महीने में एक बार मिल सकती है। शहर,…
पिछले दस वर्षों में बैंक धोखाधड़ी और कार्पोरेट पतन में बढ़ोतरी हुई है। दिवाला और दिवालियापन संहिता बैंक कर्जमाफी को…
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत का घटता प्रभाव अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। मोदी साहब की विदेश नीति…
संविधान सभा में राजनीतिक माडल के चयन पर बहस हुई थी। संविधान निर्माताओं ने निर्णायक रूप से राष्ट्रपति प्रणाली को…
मणिपुर संदेह, छल और जातीय संघर्ष के जाल में फंसा हुआ है। मणिपुर में शांति बनाए रखना और सरकार चलाना…
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि ‘…आज, भारत के लोग नए आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।’ कुछ दिन पहले…
पी. चिदंबरम बता रहे हैं कि अधिकतर राज्य सरकारों ने यूपीएस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कांग्रेस सहित प्रमुख…
प्रधानमंत्री का भाषण मुद्दों पर बहस की शुरुआत या अंत नहीं है। इसके उलट, इसका मतलब होगा कि विभाजनकारी मुद्दे…