love and relationship
दुनिया मेरे आगे: प्यार की शुरुआत में तो लोग रहते हैं सतर्क, एक-दूसरे से दूर होने पर तड़प और प्रेम का होता है अनुभव

बेहतरीन प्रेम कविताएं प्रेम के दौरान नहीं, प्रेम की स्मृति में या उसकी कल्पना में लिखी गई हैं। प्रेम करना,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सुख बनाम दुख, अच्छाई और बुराई के बीच हर दौर का संघर्ष

जीवन में सुख-दुख साथ-साथ आते हैं। पर हमें लगता है कि दुख ने हमारे घर में अधिक समय तक बसेरा…

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दुनिया मेरे आगे: आज की पीढ़ी पैसों के लिए बेच दे रही है इमान, मुफ्त के सामान की लोगों को लग गई है लत

हम सिर्फ सोचते ज्यादा रहे हैं। सपनों में ही ज्यादा खोते रहे हैं। इसलिए शायद हकीकत का धरातल उथला रह…

जनसत्ता-दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: लोगों को रखना चाहिए सुनने का धीरज, सामने वाले की बातों पर करें गौर

कई लोग सामने बैठ तो जाते हैं, मगर पल में ही कहीं खो जाते हैं। वे न तो बोलने वाले…

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दुनिया मेरे आगे: लोगों में समानुभूति बढ़ाने के लिए करना चाहिए उपाय, हर हफ्ते किसी एक अजनबी से बात करने की डालनी चाहिए आदत

भले ही इंसान एक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित जीव है, लेकिन उसमें परोपकार सहानुभूति और समानुभूति के भाव आसानी से जागृत…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: लोगों के दिमाग में चढ़ा दिखावे का रोग, ऑनलाइन खाने का तेजी से बढ़ रहा चलन

इस बाजारवाद की सबसे भयावह चीज यही है कि मध्यवर्गीय परिवार के अनेक बच्चे अपने अभिभावकों की परेशानियों को समझना…

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दुनिया मेरे आगे: दुनिया की सबसे बड़ी दौलत दिमागी शांति, जिंदगी में तोता नहीं, बनना चाहिए बाज

जीवन की शांति परिस्थितियों को न केवल ठीक करने की लगन से मिलती है, बल्कि यह सोचने से भी मिलती…

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दुनिया मेरे आगे: आसपास भी है दुनिया जिसका किसी को अंदाजा ही नहीं, आत्मकेंद्रित हो गए हैं हम

समय प्रबंधन ही समस्त रिश्तों का आधार होता है। जो व्यक्ति हमसे जुड़ा है, वह संवाद की अपेक्षा हमसे रखता…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: स्वप्नों की दुनिया की अनोखी है कहानी, हर अंत के बाद होती है एक नई शुरुआत

एक तारा अगर टूट जाए तो इससे फलक सूना नहीं हो जाता। इसी तरह किसी स्वप्न के टूटने से जीवन…

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दुनिया मेरे आगे: दुखी होने का सुख है उदासी, उपहार स्वरूप लोगों को बनाता है अंतर्मुखी

सुख स्वार्थी बना सकता है, दुख निस्वार्थ होने की ओर प्रेरित करता है। जो प्रफुल्लित है, सुखी है, स्वयं में…

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दुनिया मेरे आगे: उम्मीदों की जिंदगी, निराशा के बीच आशावान होना

इंसान समाज का आईना होता है। उसकी तरक्की से ही समाज की तरक्की जुड़ी हुई है। अगर कोई व्यक्ति समाज…

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