जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: मदद करने पर मिलती है अलग तरह की खुशी, विज्ञान-धर्म और दर्शन से है प्रमाणित

मदद और ईर्ष्यारहित भावना से मिलने वाली खुशी ही सच्ची खुशी है। हमारे स्वास्थ्य पर इस बात का बहुत गहरा…

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दुनिया मेरे आगे: अज्ञातवास पर जाना चाहता है मन, भटकाव से बचने के लिए करना पड़ता है उपाय

मनुष्य का स्वभाव विचित्र है। वह प्रसन्नता के कारकों पर मंथन नहीं करता। वह उन बातों को ज्यादा सोचता है,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सही रास्ते पर आगे बढ़ने में नहीं है कोई बुराई, जिंदगी जीने के अंदाज सिखाने वाले कम नहीं

अगर माफी मांगना जरूरी है तो वक्त की जरूरत के मुताबिक माफी मांग भी लेनी चाहिए। खुले दिल से माफी…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: तनावपूर्ण जिंदगी जीने के आदी होते जा रहे लोग, चिंता की गुत्थियां को समझना टेढ़ी खीर

चिंता से बचने के उपाय व्यक्ति को खुद ही खोजने होंगे। सामान्य तौर पर जो हमारी पहुंच या नजरों से…

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दुनिया मेरे आगे: तकनीक ने बढ़ा दी बीमारियां, इंसानियत धीरे-धीरे हो रहा खत्म

तकनीकी प्रगति ने जीवन को सरल बना दिया है, लेकिन इसने हमारे दिलों को जटिल भी कर दिया है। क्या…

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दुनिया मेरे आगे: मानव जीवन में ज्ञानेंद्रियों की यात्रा, भाषाओं से ही समूचे ज्ञान का हुआ उदय

प्रकृति प्रदत्त ज्ञानेंद्रियों और मनुष्य की सृजनात्मक और विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों की निरंतर जुगलबंदी ने आज की दुनिया को एक ऐसे…

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दुनिया मेरे आगे: बड़ी समस्या बनकर उभर रही ऊबन, निजात पाने के लिए लोग कर रहे तरह-तरह के प्रयोग

कभी-कभी ऊब महसूस होना स्वाभाविक है, लेकिन जब यह स्थायी मनोदशा बन जाए तो चिंताजनक है। ऊबना नकारात्मक विचारों की…

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दुनिया मेरे आगे: रिश्तेदारी से अधिक अपनेपन के रिश्ते होते हैं मजबूत, आपाधापी के दौर में आत्मकेंद्रित होना नहीं है सही

परिस्थितियां एक समान नहीं होतीं और न ही जैसा हम सोचते हैं, वैसी ही होगी। संकटकालीन परिस्थितियों में अपनों का…

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दुनिया मेरे आगे: प्रकृति के साथ सृजन का सरोकार, मशीनी युग में लोगों का रचनात्मक होना अनिवार्यता

रचनात्मक होना हमारे भीतर हमेशा ही रहता है, बस उसके सामने का दरवाजा जो होता है, वह बंद रहता है।…

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दुनिया मेरे आगे: हर किसी की अपनी-अपनी दुनिया, लोग हो जाते हैं मनोरोग का शिकार

आज की इस भौतिक दुनिया में सब इतने अकेले और परेशान हैं कि कोई किसी को स्वीकार नहीं करना चाहता।…

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दुनिया मेरे आगे: हर सुर का होता है संदेश, फेरीवाले से लेकर बड़े संगीतकार की है अपनी कला

वही बातें सुननी चाहिए जिसमें दूरदर्शिता हो और वह विवेकपूर्ण हो। उसमें सभी का हित सम्मिलित हो, प्रगतिशील समझ हो,…

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दुनिया मेरे आगे: समय का सही उपयोग हमें बनाता है सफल और आत्मनिर्भर, सपनों को साकार करने में करता है मदद

वक्त बीतने के साथ-साथ कई ऐसी यादें भी होती हैं जिन्हें हम भुला नहीं सकते। जब हम किसी प्रिय व्यक्ति…

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