जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: पतंग की तरह होनी चाहिए जिंदगी, दिखावे के चक्कर में महंगा घर और गाड़ी खरीद लेते हैं लोग

कमाई से असंतोष का बोझ रात को चैन से सोने नहीं देता और दिन में चैन से बैठने नहीं देता।…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: शब्दों का सही चयन और सही समय पर बोलना हमारे जीवन को बना सकता है आसान, किसी भी रिश्ते की बुनियाद होता है संवाद

मनोविज्ञान के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को यह महसूस होता है कि वह अकेला नहीं है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता…

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दुनिया मेरे आगे: मोबाइल फोन-इंटरनेट और सोशल मीडिया के बिना अधूरा सा शहरी जीवन, रिश्ते-दोस्ती और भावनाएं हो रहीं ‘डिजिटल’

हरी संस्कृति एक ऐसे दर्पण की तरह है, जो हमें हमारी उन्नति और प्रगति दिखाती है, लेकिन जब हम इसमें…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: आठ अरब की दुनिया में अकेले रहने की चाहत, मन: स्थिति से अकेलेपन में ले सकते हैं भीड़ का आनंद

इन दिनों छोटे, बड़े, मझोले और महानगरों में रहवासी मकानों की अंतहीन भीड़ बाहर से हर कहीं दिखाई देती है,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: मौन का अर्थ- शब्दों, गतिविधियों, क्रियाओं और विचारों का संतुलन; किसी भी परिस्थिति से सुरक्षा का सर्वोत्तम कवच

आंतरिक और बाह्य विक्षोभों से अपने अंतर्मन को बचाने का एकमात्र साधन मौन है। इसके माध्यम से हम अपने हृदय…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जीवन जीने का एक दृष्टकोण है कृतज्ञता की भावना, हर छोटी घटना में छिपी होती है बड़ी सीख

कृतज्ञ होना हमें न सिर्फ आत्मकेंद्रित होने से बचाती है, बल्कि हमें दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील और सहज बनाती…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: कुदरत से मन के रूप में मिला है नायाब तोहफा, जिसमें छिपे हैं कई रहस्य

कई बार परेशान होकर रोने का मन भी करता है तो थोड़ा रो लेने में कोई बुराई नहीं होती। ऐसा…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जीवन का आधार है शुद्ध हवा, मिट्टी के हो रहे दोहन से भविष्य पर मंडरा रहा खतरा

आज हम जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान और प्लास्टिक कचरे से उपजी समस्या को लेकर तो चिंतित नजर आते हैं, लेकिन…

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दुनिया मेरे आगे: हर किसी को सुननी चाहिए अंतरात्मा की आवाज, कर सकते हैं असीम आनंद की अनुभूति

जब हम किसी विषय को लेकर निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच पाते, दिल और दिमाग में एक अजीब धर्मसंकट उत्पन्न…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: वर्चस्व की दुनिया में नहीं होता कोई सगा संबंधी, गुलामी से उपजा अवसाद पीढ़ियों तक करता है सफर

हर प्राणी, व्यक्ति, जीव-जंतुओं तक पर गुलामी का गहरा असर पड़ता है, जो लंबे समय तक बना रहता है। गुलामी…

Premanand Maharaj these Rule can Change life
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प्रेमानंद महाराज ने बताया सिर्फ एक महीने में हो सकते हैं कई चमत्कार, ये छोटा सा नियम बदल सकती है किस्मत

Premanand Maharaj these Rule can Change life: प्रेमानंद महाराज ने अपने भक्तों से एक नियम फॉलो करने के लिए बताया…

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