Premanand Maharaj these Rule can Change life
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प्रेमानंद महाराज ने बताया सिर्फ एक महीने में हो सकते हैं कई चमत्कार, ये छोटा सा नियम बदल सकती है किस्मत

Premanand Maharaj these Rule can Change life: प्रेमानंद महाराज ने अपने भक्तों से एक नियम फॉलो करने के लिए बताया…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: हर मौसम में दिख जाती है गरीबी और अमीरी, प्रेमचंद की कहानी में विस्तार से मिलता है इसका वर्णन

फुटपाथ पर हजारों बच्चे हर साल किसी तरह से अपने हिस्से की ठंड काट लेते हैं। ठंड से बचने के…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: वासना और कामना तक ही सीमित कर दिया गया है प्रेम, होनी चाहिए बलिदान की भावना

सच्चा प्रेम निस्वार्थ होता है। वह देता है, कुछ लेता नहीं। वहां कामनाओं का संसार नहीं, बलिदान की भावना है।…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सही दिशा में किए गए संघर्ष का नतीजा अनुकूल होना जरूरी नहीं, औसत होने का सबसे बड़ा आनंद है संतोष का अनुभव

औसत होने का सबसे बड़ा आनंद है-संतोष का अनुभव। जब हम अपने औसतपने को स्वीकार करते हैं, तो हमारे ऊपर…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सामाजिक ताने-बाने के साथ व्यक्तिगत संबंधों को भी नष्ट कर रहा विज्ञान, जीवन के हर क्षण का मोबाइल में नियंत्रण

किसी समारोह में जब लोग एकत्र होते हैं, तो एक विचित्र दृश्य उत्पन्न होता है। पहले लोग हास-परिहास में व्यस्त…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सात जन्मों की शर्त वाले रिश्ते पल भर में तोड़ रहे दम, शहरीकरण ने परिवार के बीच बढ़ाई दूरी

हम अपने भावों को सोशल मीडिया की रगों में रंगते जा रहे हैं, जहां सब त्वरित हो रहा है। लोग…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: बचपन में खेलना बच्चों के स्वस्थ होने की निशानी, मानसिक क्षमता पर होता है सकारात्मक प्रभाव

दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए जब बच्चा बड़ा होता है तो वह दोस्त बनाने का कौशल भी सीखता है।…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: संवाद से बनी रहती है रिश्तों में गरमाहट, बचपन से ही स्कूलों में आयोजित होते हैं तमाम आयोजन

समाज हमें अलग-अलग विचारधारा, लोगों और ज्ञान से अवगत कराता है। बातचीत को उत्कृष्ट बनाने में समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: माता-पिता और बच्चे सब हो रहे सोशल मीडिया का शिकार, पढ़ाई और सकारात्मक गतिविधियों से हो रहें दूर

एक सीमा के बाद पुरानी चीजों से खुशी मिलनी कम हो जाती है तो मन नई चीजों की तलाश में…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: अभिवावकों की उदासीनता का बच्चों पर पड़ रहा प्रभाव, नई पीढ़ी में देखने को मिल रही समस्या

अगर बुद्धिमता के विकास की दृष्टि से देखा जाए, तो यह आने वाले कुछ वर्षों में एक संकट बनने वाला…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: कहीं अहं तो कहीं क्रोध के भाव में डूब रहे व्यक्ति, इच्छाओं की अंधी दौड़ का नहीं बनना चाहिए हिस्सा

हमने अपनी बेमतलब की जरूरतों को इतना बढ़ा लिया है कि सब कुछ पाने की चाहत और बड़ा बनने की…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: पति-पत्नी के बीच हिंसा की कई परतें, बीते दिनों हुई घटनाएं सोचने पर कर रही मजबूर

इसमें कोई दोराय नहीं कि हाल के दिनों में कुछ मामलों में पुरुष भी पीड़ित नजर आए हैं। मगर अव्वल…

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