
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें निधि गोयल के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें मुनीष भाटिया के विचार।
आमतौर पर हर एक व्यक्ति के कुछ न कुछ सामाजिक सरोकार भी होते हैं। इन सरोकारों से जुड़ कर ही…
हम सबने अपनी-अपनी वैकल्पिक दुनिया रच ली छोटे-छोटे घोंसलों में, लेकिन घोंसले बनाकर हम भूल गए कि कब, कहां, क्यों…
पीड़ा का सामना करने के लिए अपनों से निकटता बनाए रखना चाहिए। जिन लोगों के साथ हम अपने जीवन का…
जीवन का नियम है- हर बाधा के बावजूद आगे बढ़ते रहना। कई बार परिस्थितियां इतनी विकट हो जाती हैं कि…
हम घरों में देखते हैं कि एकल परिवार होने के कारण पति-पत्नी का अहं किसी भी मुद्दे पर टकरा जाता…
मारी मानसिकता आज इस दिशा में विकसित हो रही है कि हमें अपने उद्देश्य की प्राप्ति तो करनी है, लेकिन…
मनुष्य का स्वभाव विचित्र है। वह प्रसन्नता के कारकों पर मंथन नहीं करता। वह उन बातों को ज्यादा सोचता है,…
हम लाख चाहें फिर भी इस बात को नहीं जान सकते कि हमारे आने वाले कल में क्या होगा। तो…
जीवन बहुत ही मायावी है, किसी रोमांचकारी खेल की तरह। कभी कोई जीतता है, तो कभी कोई हारता है। अगर…