value of empathy, human connection
दुनिया मेरे आगे: शक्कर के डिब्बे से रिश्तों का सच, क्यों परवाह ही है जीवन की सबसे बड़ी ताकत?

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें गौरव बिस्सा के विचार।

thought vs propaganda, media machinery, artificial intelligence
दुनिया मेरे आगे: कुछ छोड़ें, कुछ माफ करें और रिश्तों को मजबूत बनाएं – सच्चा सुकून चाहिए तो टेंशन से बाहर निकलें

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें मुनीष भाटिया के विचार।

दुनिया मेरे आगे: इंसान को महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए या नहीं? जानिए हमारे जीवन के लिए क्या है जरूरी

इसमें दोराय नहीं कि महत्त्वाकांक्षा व्यक्ति के भीतर की क्षमताओं में उभार लाकर उसे अपने यथास्थिति का शिकार हो गए…

Positive attitude, satisfaction with life, understanding of rights, happy life
दुनिया मेरे आगे: सिर्फ अच्छा सोचने भर से नहीं होता है काम, अपने हक के लिए खड़ा भी होना होगा; अधिकार के साथ साहस भी जरूरी

जब हमारे वास्तविक अधिकारों की बात होने लगती है, तब नकारात्मक, सकारात्मक विचारधारा या हर हाल में संतुष्टि से भरे…

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दुनिया मेरे आगे: छोटे-छोटे पलों में खुशी ढूंढ़ना, अच्छा महसूस करने की तलाश या तलाश में खोई जिंदगी?

एक शोध के अनुसार, जो लोग खुशी बांटने में समय खर्च करते हैं और दूसरों के लिए कुछ करने की…

intelligence vs character, importance of morality
दुनिया मेरे आगे: बुद्धिमान बनाम चरित्रवान, जीवन में कामयाबी के लिए क्यों जरूरी है नैतिकता?

समाज में आज भी ऐसे बहुत से लोग मिलते हैं, जो उच्च शिक्षित नहीं हैं, लेकिन अपने उच्च नैतिक मूल्यों…

true bliss, self-awareness, self-reflection, acceptance, gratitude
दुनिया मेरे आगे: सच्चा आनंद पाने का रास्ता है खुद को पहचानना, हर हालात को अपनाना और आभार के साथ जीना सीखना

आनंद कोई क्षणिक भाव नहीं है जो एक बार मन में उत्पन्न हुआ और कुछ ही देर में समाप्त हो…

Satisfaction, Power of contentment, self-discipline, inner peace
दुनिया मेरे आगे: हर बार कुछ और क्यों? जब ‘इतना ही काफी है’ में मिलती है सच्ची शांति; हर क्षण खुश रहना सीखना होगा

संतोष हमारे चित्त को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। बाहरी परिस्थितियां ऐसी दशा में हमें जरा भी प्रभावित नहीं…

Constructive Ideas, Mental Clarity, Thought Leadership, Inner Growth
दुनिया मेरे आगे: विचारों का मंथन या भटकाव, सुंदर समाज की राह में सोच का संतुलन क्यों जरूरी?

जब हम अपनी दुनिया, अपने समाज को लेकर सपना देखते हैं, जिसमें हम सुंदर, समृद्ध और स्वस्थ समाज की परिकल्पना…

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