जी-20 की स्थापना 1999 में एशिया में आए आर्थिक संकट के बाद की गई थी। तब कई देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने मिलकर एक फोरम बनाने की सोची, जहां पर ग्लोबल इकनॉमिक और फाइनैंशियल मुद्दों पर चर्चा की जा सके। यह 20 देशों का एक समूह है। जी-20 की पहली बैठक साल 2008 में अमेरिका के वॉशिंगटन में हुई। अब तक इसकी कुल 17 बैठकें हो चुकी हैं। भारत इसकी 18वीं बैठक की मेजबानी 9 और 10 सितंबर को कर रहा है। जी-20 की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके सदस्य देशों के पास दुनिया की 85 फीसदी जीडीपी, 75 फीसदी ग्लोबल ट्रेड, दुनिया की 2/3 आबादी है।
जी-20 ग्रुप में कौन-कौन शामिल?
इस ग्रुप में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं। इसके अलावा इस ग्रुप का 20वां सदस्य यूरोपियन यूनियन है।
इसके अलावा हर साल अध्यक्ष देश, कुछ देशों और संगठनों को मेहमान के तौर पर भी आमंत्रित करता है। इस बार भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशिस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई को आमंत्रित किया है। जिस भी देश को जी20 की अध्यक्षता मिलती है, वह उस साल जी20 की बैठकें आयोजित करवाता है।
जी-20 का एजेंडा क्या है?
जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में विकासशील देशों को आर्थिक मदद, विश्व बैंक और आईएमएफ में सुधार, क्रिप्टो करेंसी के लिए नए नियम, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर, जलवायु परिवर्तन और रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं।Read More