Duniya Mere Aage
दुनिया मेरे आगे: जीवनकाल में बदलते रहेंगे सुंदरता के मानक, शारीरिक बनावट को मानी जाती है खूबसूरती

सुंदरता त्वचा के रंग, आकार और शारीरिक बनावट से परे है। यह केवल उन लोगों तक सीमित नहीं है, जिन्हें…

Duniya Mere Aage, दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: विवेक आधारित सोच और व्यवहार हमारी शिक्षा का होना चाहिए हिस्सा, समाज में महिलाओं के प्रति गढ़ दी जाती है नकारात्मक छवि

विवेक आधारित सोच और व्यवहार हमारी शिक्षा का हिस्सा होना चाहिए। स्कूल का मतलब सिर्फ हिंदी, गणित पढ़ाना ही नहीं,…

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दुनिया मेरे आगे: स्वास्थ्य के लिए औषधि का काम कर सकता हैं कलाकृतियों को निहारना, समग्र चिकित्सा और कल्याण का साधन

कला सृजन से मानसिक सेहत को होने वाले फायदों के बारे में व्यापक रूप से शोध हुए हैं, लेकिन कला…

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दुनिया मेरे आगे: आज की चाह में लोग कल को कर रहे बर्बाद, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से भविष्य का खतरा

जब नुकसान की मार हम सब पर पड़ने लगती है तब हम इस बात का अनुमान नहीं लगा पाते कि…

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दुनिया मेरे आगे: मजबूरी के चलते नहीं, स्वेच्छा से अपने आपको मशीन में तब्दील कर रहा है मनुष्य

हमें समझना होगा कि आखिर क्यों थोड़ा-सा ठहराव भी हमें इतना डराने लगा है। क्या हम अपनी ही वास्तविकता से…

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दुनिया मेरे आगे: सकारात्मकता के रथ पर सवार, आज की समय में बदलाव का दृढ़ संकल्प रखने के साथ शुरूआत की जरूरत

आज अगर हम अपने जीवन में कोई सकारात्मक कदम उठाएंगे, तो उसकी सफलता पाने का पैमाना कल नहीं है। कल…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: गपशप करने से तनावमुक्त और तरोताजा हो जाता है मन, शायर गुलजार ने इसको लेकर कही है दिल खुश कर देने वाली बात

गपशप के समय न तो विषय की जरूरत होती है, न किसी तरह के शब्द सौंदर्य की। इसीलिए गपशप करते-करते…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: डिजिटल जागरूकता केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आज की अनिवार्य आवश्यकता

सवाल यह है कि इस डिजिटल युग में कैसे हम साइबर ठगी से स्वयं को सुरक्षित रखें। साइबर सुरक्षा के…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: ज्ञान के पायदान, आत्म ज्ञानी व्यक्ति को रसमय नहीं लगता यह संसार

आत्मज्ञान के लिए सर्वप्रथम जो कड़ी है, वह है मन। मन को हम स्वयं नियंत्रित नहीं कर सकते। मन का…

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दुनिया मेरे आगे: जुलाई से सीबीएससी के स्कूलों में शुरू होगी मातृभाषा में पढ़ाई, मानसिक और शैक्षणिक स्तर पर समृद्ध होंगे बच्चे

अभिभावकों को समझना होगा कि आरंभिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होने से बच्चे सहजता से सीख पाएंगे। पढ़ते, लिखते और…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: हर रिश्ते में स्वाभाविक हैं मतभेद, सहनशीलता और धैर्य के साथ सुलझाने में ही होती है समझदारी

जब युवा मन की जिज्ञासाओं को बुजुर्ग खुले दिल से सुनें, और युवा भी बुजुर्गों के अनुभवों से सीखने को…

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दुनिया मेरे आगे: बदलता जा रहा है गांव, लुप्त होती जा रही है लोक संस्कृति

आधुनिकता की दौड़ में लोग आज बहुत आगे निकल गए हैं और पारंपरिक रीति-रिवाज व लोक संस्कृति पीछे छूट गई।…

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