
भय हर स्थिति में उपस्थित होता है। अनिष्ट में वह हमेशा रहता है। विकट परिस्थितियों में भय की उपस्थिति महसूस…
हम सबने अपनी-अपनी वैकल्पिक दुनिया रच ली छोटे-छोटे घोंसलों में, लेकिन घोंसले बनाकर हम भूल गए कि कब, कहां, क्यों…
जब हम यह मान लेते हैं कि परिवर्तन की शुरुआत अपने भीतर से होनी चाहिए और समाज से पहले खुद…
समाज में आज भी ऐसे बहुत से लोग मिलते हैं, जो उच्च शिक्षित नहीं हैं, लेकिन अपने उच्च नैतिक मूल्यों…
कई बार हम कुछ सीमाएं तय करते हैं, ताकि आत्मसम्मान की रक्षा कर सकें, लेकिन अक्सर लोग इसे अहंकार समझ…
पशु-पक्षी, पेड़-पौधे से लेकर इंसान तक सभी से प्यार करना कोई मुश्किल काम नहीं है, यह अभ्यास की बात है।…
संयुक्त परिवारों की वे जड़ें, जिनमें परिवार रूपी वट वृक्ष सांस लेता था, अब ‘फ्लैट संस्कृति’ में गमले के पौधे…
आनंद कोई क्षणिक भाव नहीं है जो एक बार मन में उत्पन्न हुआ और कुछ ही देर में समाप्त हो…
कुलपति शब्द संस्कृत साहित्य, शास्त्रों और शिक्षाशास्त्र में विशिष्ट अर्थ और महत्ता के साथ प्रयुक्त हुआ है। इसका संबंध विद्या,…
भावनाओं पर जबरन नियंत्रण करना यानी तकलीफ को बढ़ाना। अगर हम भावनात्मक रूप से मजबूत बनना चाहते हैं तो अपनी…
दुनिया भर के तमाम विवादों का मूल कारण किसी पक्ष की एकतरफा सोच ही होती है, जिसके कारण समाधान के…
सचमुच संस्कृति वह है जो आंतरिक सच को प्रकाशित करती हो। संस्कृति का सच्चा पैरोकार भी वही है जो समाज…