
भारत के पहाड़ टूट रहे हैं, नदियां उफन रही हैं और आपदाएं बढ़ रही हैं। जानिए कैसे जंगल काटने और…
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें प्रभात कुमार के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें दीपिका शर्मा के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें शिशिर शुक्ला के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें नवनीत शर्मा के विचार।
जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें अनिल त्रिवेदी के विचार।
इसमें दोराय नहीं कि महत्त्वाकांक्षा व्यक्ति के भीतर की क्षमताओं में उभार लाकर उसे अपने यथास्थिति का शिकार हो गए…
शारीरिक श्रम, जिसे ज्यादातर सक्षम और संपन्न लोग बेचारगी की दृष्टि से देखते हैं, शायद वही हमारे स्वास्थ्य की बेहतरी…
वक्त के साथ सब कुछ महंगा होते जाने और आय में कमी के साथ-साथ घर बनाना एक टेढ़ी खीर साबित…
आमतौर पर हर एक व्यक्ति के कुछ न कुछ सामाजिक सरोकार भी होते हैं। इन सरोकारों से जुड़ कर ही…
जब हमारे वास्तविक अधिकारों की बात होने लगती है, तब नकारात्मक, सकारात्मक विचारधारा या हर हाल में संतुष्टि से भरे…
एक शोध के अनुसार, जो लोग खुशी बांटने में समय खर्च करते हैं और दूसरों के लिए कुछ करने की…