09 जुलाई(रविवार) को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, इसको ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं । इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। गुरु पूर्णिमा का यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन लोगों को कुछ विशेष काम करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में दिए गए कामों को करने पर पुण्य मिलता है। जानिए- इस दिन कौनसे काम करने चाहिए।
क्या करें गुरु पूर्णिमा को:
-भोजन में केसर का प्रयोग करें और स्नान के बाद नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
– साधु, ब्राह्मण एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
– गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान के जल में नागरमोथा नामक वनस्पति डालकर स्नान करें।
– पीले रंग के फूलों के पौधे अपने घर में लगाएं और पीला रंग उपहार में दें।
– केले के दो पौधे विष्णु भगवान के मंदिर में लगाएं।
-गुरु पूर्णिमा के दिन साबूत मूंग मंदिर में दान करें और 12 वर्ष से छोटी कन्याओं के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लें।
– शुभ मुहूर्त में चांदी का बर्तन अपने घर की भूमि में दबाएं और साधु संतों का अपमान नहीं करें।
– जिस पलंग पर आप सोते हैं, उसके चारों कोनों में सोने की कील अथवा सोने का तार लगाएं ।
गुरु को शास्त्रों ने भगवान का दर्जा दिया है। भगवान को भी शिक्षा देने वाले गुरु के लिए किसी संत ने कहा है कि कि गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय। अर्थात एक शिष्य अपने गुरु और भगवान को सामने पाकर असमंजस में है कि पहले किसके पांव छूए, जिस पर गोविंद अर्थात भगवान कहते हैं कि गुरु भगवान से भी बढ़कर है पहले उसके पांव पड़ो। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम गुरु का सदैव सम्मान करेंगे। गुरु सदैव पूज्य हैं।उनकी अवज्ञा घोर पाप की श्रेणा में आती है।