प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने को लेकर इतने गहरे स्तर की गोपनीयता बरती थी कि देश के टॉप बैंकर्स को भी इस बारे में भनक नहीं लगी थी। उन्हें भी पीएम मोदी के एलान के वक्त ही नोटबंदी के बारे जानकारी मिली। नवंबर के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने देश के सभी बड़े बैंकों के चेयरपर्सन और एमडी को आठ नवंबर को मुंबई में आरबीआई मुख्यालय में बैठक के लिए बुलाया था हालांकि आरबीआई ने बैठक के एजेंडे को लेकर कोई जानकारी नहीं दी। साथ ही मीटिंग का फैसला भी ऐनवक्त पर किया गया। आमतौर पर आरबीआई बैंक अधिकारियों को मीटिंग के लिए समय देता है जिससे कि वे तैयारी के साथ आएं। बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट के बारे में बातचीत की।
इस दौरान कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। आठ बजे से ठीक पहले आरबीआई के अधिकारियों ने बैठक के कमरे में ही टीवी चलाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जल्द ही भाषण देंगे और वे भाषण के बाद मीटिंग जारी रखेंगे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने बताया, ”यह(नोटबंदी का एलान) हमारे लिए भी उतना ही चौंकाने वाला था जितना की बाकी के लोगों के लिए था।”प्रधानमंत्री के भाषण के बाद बैंकर्स जल्द से जल्द जाना चाहते थे और काम शुरू करना चाहते थे।
इधर, 10 दिनों की नोटबंदी के बाद कई बैंकों में अब नोट बदलने की कतारें कम होने लगी हैं। यह सब नोट बदलने के नियमों को कड़ा करने के चलते भी हुआ है। हालांकि एटीएम पर हालात अभी भी नहीं सुधरे हैं। जिन भी एटीएम में पैसे मिलते हैं वहां पर लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। नए निर्देशों के अनुसार एटीएम से 2500 रुपये निकाले जा सकते हैं। वहीं बैंकों में हर रोज 2000 रुपये बदले जा सकते हैं। पैसे जमा कराने के नियम में भी बदलाव हुआ है और अब जिस ब्रांच में खाता है उसी में नोट बदले जाएंगे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि नवंबर के आखिर तक स्थिति में सुधार आ जाएगा। गौरतलब है कि बैंकों में अब 21 नवंबर से ही पैसे बदले जाएंगे। 19 नवंबर को बैंकों में सामान्य कामकाज ही होगा। हालांकि वरिष्ट नागरिक अपने नोट बदलवा सकते हैं।