संसद ने प्रसूति प्रसुविधा संशोधन विधेयक 2016 को मंजूरी दे दी जिसमें खान, फैक्टरी, बागानों, दुकानों आदि तथा संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को मातृत्व सुविधा प्रदान करने की पहल की गई है। लोकसभा में आज प्रसूति प्रसुविधा संशोधन विधेयक 2016 पर विचार करने के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा में इसे पहले ही पारित किया जा चुका है। सदन में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने विचार के लिए रखते हुए कहा कि गर्भवती एवं शिशु के जन्म के कल्याण का विषय अत्यंत गंभीर मामला है। श्रम हालांकि समवर्ती सूची में आता है लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार गर्भवती महिलाओं, माताओं एवं बच्चों की देखरेख, पोषण आदि के बारे में प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए प्रसूति प्रसुविधा विधेयक 1961 में संशोधन किया गया है और महत्वपूर्ण पहल की गई है। इसका लाभ खान, फैक्टरी, बागानों, दुकानों आदि में काम करने वाली महिलाओं को मिलेगा जहां 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। दत्तात्रेय ने कहा कि इसमें प्रसूति लाभ को बेहतर बनाने हुए मतृत्व अवकाश की अवधि को दो बच्चों तक 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का प्रस्ताव किया गया है।

मंत्री ने कहा कि मध्याह्न भोजन में काम करने वाली एवं आशाकर्मियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के बारे में हम पहल करने जा रहे हैं। विधेयक में दो बच्चों के बाद प्रसूति अवस्था में मातृत्व लाभ 12 सप्ताह रहने की बात कही गई है। इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया है कि नियोक्ता एवं कर्मचारी की सहमति से गर्भवर्ती महिला घर से भी काम संपादित कर सकती हैं। इसमें कुछ खास श्रेणी की फर्म में छोटे बच्चों के लिए क्रेच स्थापित करने की बात भी कही गई है।

विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि इस विधेयक में गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं के कल्याण के लिए विशेष ध्यान दिया गया है। मातृत्व लाभ की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना स्वागत योग्य है हालांकि दो बच्चों के बाद भी इस लाभ को कम करने की बजाए समान ही बनाये रखा जाना चाहिए। उन्होंने पितृत्व अवकाश को अनिवार्य बनाने की भी मांग की।