शराब व्यवसायी विजय माल्या ने सरकार पर शुक्रवार (10 मार्च) को आरोप लगाया कि वह ‘निष्पक्ष’ सुनवाई के बिना ही उन्हें दोषी करार दे रही है। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि बैंकों का कर्ज न चुकाने के उनके मामले में उच्चतम न्यायालय कोड़ा फटकार रहा है। उच्चतम न्यायालय ने माल्या से उनकी संपत्तियों और 4 करोड़ डॉलर की एक धन राशि अपने बच्चे को हस्तांतरित करने के बारे में सवाल पूछे थे। माल्या ने ट्विटर के जरिये अपनी बात कही है।

माल्या ने 9,000 करोड़ रुपए के ऋण की चूक के मामले में एक मुश्त निपटान शुल्क देने के लिए बैंकों के साथ बातचीत की पेशकश की है। माल्या ने ट्विटर पर लिखा है, ‘मैंने अदालत के हर आदेश का बिना नागा विनम्रतापूर्वक पालन किया है और अब ऐसा लगता है कि सरकार बिना निष्पक्ष सुनवाई के मुझे दोषी ठहराने पर तुली है।’ न्यायालय ने दो बैंकों की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। इन याचिकाओं में उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई किए जाने तथा विदेशी कंपनी डियाजियो से प्राप्त 4 करोड़ डॉलर जमा करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

उन्होंने लिखा है, ‘उच्चतम न्यायालय में महान्यायवादी द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप मेरे खिलाफ सरकार के रुख का सबूत हैं।’ बैंकों की तरफ से पेश महान्यायवादी मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कल दलील देते हुए कहा कि यदि माल्या न्यायालय के समक्ष 4 करोड़ डालर जमा नहीं करते हैं, उनकी बातों को नहीं सुना जाना चाहिए। साथ ही उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना क्योंकि अवमानना नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है।

विजय माल्या ने 9,000 करोड़ रुपए के ऋण चूक मामले में बैंकों के साथ बातचीत का प्रस्ताव करते हुए ट्विटर पर कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बारगी निपटान के लिये नीतियां हैं। सैकड़ों कर्जदारों ने अपने ऋण का निपटान किया है। आखिर हमें इसकी सुविधा से इनकार क्यों किया जाना चाहिए?’ उन्होंने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय के समक्ष जो पेशकश की थी, उसे बैंकों ने बिना विचारे खारिज कर दिया। मैं निष्पक्ष आधार पर मामले के निपटान के लिये बातचीत को तैयार हूं।’

माल्या ने यह भी कहा, ‘उम्मीद है कि न्यायालय हस्तक्षेप करेगा और बैंकों तथा हमें मामले का निपटान करने के लिये बातचीत का निर्देश देकर इन चीजों पर विराम लगाएगा।’ उल्लेखनीय है कि पिछले महीने सरकार ने माल्या के प्रत्यर्पण के लिये ब्रिटेन को अनुरोध पत्र दिया। व्यवसायी के खिलाफ ऋण भुगतान में चूक एवं अन्य वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं। माल्या के ऊपर विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। वह पिछले साल दो मार्च को भारत छोड़कर चले गये।