नार्थ कोरिया का तानाशाह किम जोंग चाहता है कि वहां के लोग ज्यादा मात्रा में कुत्ते खाना शुरू कर दें, क्योंकि यह ‘स्टैमिना आहार’ है। स्थानीय रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मांस को और स्वादिष्ट बनाने के लिए कुत्तों को पहले पीटा जाना चाहिए, फिर उनकी चमड़ी उतारी जाए, उसके बाद उन्हें भूनकर खाया जाए। पका हुए कुत्ते को कोरियन में ‘दंगोगी’ कहा जाता है। उत्तरी कोरिया में भुखमरी की शिकार जनता के बीच कुत्तों को खाने के लिए यह प्रचार किया जा रहा है कि इसमें चिकन, पोर्क, बीफ से ज्यादा विटामिन होते हैं। उत्तरी कोरिया में 1990 के दशक में, कम्युनिस्ट तानाशाही के दौरान, बाढ़ और सूखे के साथ-साथ आर्थिक असफलता को करीब 3 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। भूख से जूझ रही जनता के लिए कुत्ता खाद्या पदार्थों में कमी का एक हल हो सकता है। नॉर्थ कोरिया की सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर नियंत्रित मीडिया ने कुत्ते के मांस को सबसे बेहतर बताते हुए प्रचार शुरू कर दिया है।
हाल ही में एक रिएलिटी शो में नॉर्थ कोरिया के प्रतिभागियों द्वारा जानवरों के इस्तेमाल से पकवान बनाते दिखाया गया। यहां की राजधानी फियोंगयांग में पिछले दिनों एक कुत्ते का मांस खिलाने वाला रेस्तरां खोला गया है। नॉर्थ कोरिया में कुत्तों के मांस को सरकार द्वारा प्रचारित किए जाने पर साउथ कोरिया ने आपत्ति जताई है। जुलाई की एक रिपोर्ट में कोरियन सेंट्रल टेलीविजन ने कहा था कि फियोंगयांग में फिर से खोला गया डॉग मीट रेस्तरां ‘कुत्तों के मांस को और अनोखा बनाने में कामयाब हो रहा है।’ नॉर्थ कोरिया में ‘भूख’ शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है।