जब इस बच्चे का जन्म अवधि से पहले (Premature Born) हुआ था तब चिकित्सकों ने बच्चे के माता-पिता को सलाह दी थी कि बच्चे की अच्छी सेहत के लिए जरुरी है कि वो अच्छी नींद ले। लेकिन अब करीब छह महीने बाद चिकित्सकों की राय बदल गई है उनका कहना है कि अगर यह मासूम गहरी नींद में सो गया तो उसकी जान भी जा सकती है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती यथार्थ दत्त के पिता और उनके दादा-दादी को याद नहीं है कि वो पिछली बार कब सारी रात सो थे। दरअसल घर के सदस्य सारी रात जगकर अपने बेटे की देखभाल करते हैं कि उसे गहरी नींद ना आ जए। चिकित्सकों ने कहा है कि अगर नींद लेते वक्त उसके स्किन या फिर होठों पर नीले रंग के निशान बनें तो इसका मतलब है कि उसे ऑक्सीजन की कमी हो रही है।

यथार्थ को Congenital Central Hypoventilation Syndrome (CCHS) नाम की बीमारी है। यह बेहद दुलर्भ बीमारी मानी जाती है। पूरी दुनिया में इस रोग से पीड़ितों की संख्या 1,000 से 1,200 के आसपास है। इस मामले में मरीज को सांस की समस्या अचानक होने लगती है। ऐसा भी हो सकता है कि नींद में वो पूरी सांस ही ना ले पाए और उसकी मौत हो जाए। चिकित्सकों ने बच्चे को कृत्रिम वेन्टिलेशन दिया है। रात में सोते वक्त यथार्थ को कृत्रिम वेन्टिलेशन पर रखा जाता है इसके जरिए सांस को कंट्रोल किया जाता है ताकि उसे सही तरीके से ऑक्सीजन मिलता रहे। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि हो सकता है कि यथार्थ को पूरी जिंदगी ऐसे ही गुजारनी पड़े। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि इसके बाद जरुरी व्यायाम भी यथार्थ को करने होंगे।

अस्पताल के सीनियर कंसल्टेन्ट (Division of Paediatric Emergency, Critical Care and Pulmonology and Allergic Disorder), डॉक्टर धीरेन गुप्ता का कहना है कि दो दशक से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। मेरे सामने ऐसे सिर्फ तीन ही केस आए हैं। यह बेहद दुर्लभ सिंड्रोम है जो जन्मजात बच्चों में पाया जाता है जिसमें मरीज खुद-बखुद सांस नहीं ले सकता। इस बीमारी में सोते वक्त तो मरीज यह भी भूल जाता है कि सोना कैसे है। यथार्थ के माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे के लिए इलाज के लिए सर्जरी करानी पड़ेगी, लेकिन उनके पास सर्जरी के लिए 38 लाख रुपए नहीं हैं।

यह परिवार दिल्ली के करवाल नगर में रहता है। यथार्थ के पिता एक निजी फर्म में कार्यरत है। उनके पिता प्रवीण दत्त का कहना है कि उनपर पहले से ही 6 लाख रुपए का कर्ज है। प्रवीण दत्त का कहना है कि बच्चे के पैदा होने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। कैसे मेरा बच्चा पूरी जिंदगी वेन्टिलेटर पर रह सकता है? बता दें कि यथार्थ का जन्म 25 जुलाई 2018 को St Stephen’s Hospital में हुआ था। जन्म के 16 दिन बाद उसे पहली बार सांस की समस्या हुई थी, उस वक्त उसकी मां मिनाक्षी ने अपने मुंह से बेटे के मुंह में हवा भरी थी। पांच महीने बाद यथार्थ को सर गंगा राम अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।

यहां चिकित्सकों ने परिवार वालों को बताया कि यथार्थ का जन्म समय से पहले हुआ है जिसकी वजह से उसके फेफड़े कमजोर हैं, हालांकि जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ेगी फेफड़ों का विकास होगा लेकिन तब तक यथार्थ को सांस लेने में तकलीफ की समस्या होगी। जब चिकित्सकों ने परिवार वालों को यह बताया कि उसकी सर्जरी कराने में लाखों रुपए खर्च होंगे तथा यह सर्जरी यूएस में होगी तब उसके पिता ने आशा खो दी लेकिन यथार्थ की मां ने हार नहीं मानी।

अब यथार्थ की मां अस्पताल मे रात भर अपने पिता और बहन के साथ रहती हैं तथा रातभर जगकर यह देखती रहती हैं कि यथार्थ गहरी नींद में ना सो जाए। मिनाक्षी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि वो अपने बेटे को हर रात थोड़ी-थोड़ी देर पर जगा देती हैं, हालांकि वो इससे काफी परेशान भी होता है। मिनाक्षी का कहना है कि जब वो जग जाता है तो मैं उसके साथ खेलने लगती हूं और गाना भी बजाती हूं। वो थोड़ी देर खेलने के बाद फिर सो जाता है और फिर मैं oximeter की तरफ देखती रहती हूं।

यथार्थ के पिता अपनी कंपनी में नाइट शिफ्ट में जॉब करने लगे हैं ताकि वो दिन में अपने बच्चे की देखभाल कर सकें। इन दिनों यथार्थ की चाची भी यथार्थ की देखभाल में लगी हुई हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं कॉफी भी नहीं पीती, क्योंकि उसके बाद मुझे बाथरुम जाना पड़ सकता है…मुझे डर लगता है कि कहीं इन्हीं पलों में उसकी मौत ना हो जाए।