एक दूसरे की भाषा का ज्ञान ना होने से दो इंसानों को बात करने में दिक्कत हो सकती है। मगर क्या भाषा का ज्ञान ना होना किसी जानवर के लिए भी दिक्कत बन सकता है? ऐसा ही एक अजीबो-गरीब मामला उदयपुर में सामने आया है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक चेन्नई के चिड़ियाघर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाए गए एक सफेद बाघ को सिर्फ तमिल समझ आती है। ऐसे में इस चिड़ियाघर की देखरेख करने वाले कर्मचारी बाघ को अपनी बात समझाने में नाकाम रहेंगे।
दरअसल एक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत उदयपुर से दो भेड़ियों को चेन्नई अरिग्नर अन्ना जूलॉजिकल पार्क भेजा गया था और बदले में सफेद बाघ को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया था। लेकिन कर्मचारियों को एक नई चिंता सता रही है कि सफेद बाघ सिर्फ तमिल भाषा ही समझता है जो यहां के किसी कर्मचारी को नहीं आती। पांच साल के इस नर बाघ का नाम राम है, जिसका जन्म 2011 में अन्ना जूलॉजिकल पार्क में हुआ था। यहां काम करने वाले कर्मचारी तमिल भाषा में ही जानवरों से बात करते थे। ऐसे में यह टाइगर भी तमिल भाषा में ही इशारे समझता है।
वन विभाग के अधिकारियों ने कहा, “उदयपुर में हिंदी और स्थानीय भाषा मेवाड़ी बोली जाती है। ऐसे में सफेद बाघ को हिंदी सिखाने या कर्मचारियों को खुद तमिल भाषा सीखने की जरूरत पड़ेगी।” भाषा की समस्या को देखते हुए वन विभाग के अधिकारी कोशिश कर रहे हैं कि चेन्नई के केयरटेकर को हफ्ते भर के लिए उदयपुर ले आया जाए। इस संबंध में चेन्नई चिड़ियाघर के डायरेक्टर को पत्र भी लिखा जा चुका है।
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उदयपुर चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने बताया, “पिछले साल भी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पुणे से एक मादा बाघिन मंगाई गई थी। अब नर बाघ के आ जाने से बाघों की जनसंख्या में बढ़ोतरी होगी। उदयपुर में जानवर प्रेमियों की संख्या काफी है। बाघ के होने से चिड़ियाघर आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी।”