जिस समय लक्ष्मण युद्ध के दौरन मूर्छित हो गए उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ उठा लिया क्योंकि वो संजीवनी बूटी को नहीं पहचान पाएं। इसी तरह हमें भी शंका स्वरूप नहीं बल्कि समाधान स्वरूप होना चाहिए.
जिस समय लक्ष्मण युद्ध के दौरन मूर्छित हो गए उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ उठा लिया क्योंकि वो संजीवनी बूटी को नहीं पहचान पाएं। इसी तरह हमें भी शंका स्वरूप नहीं बल्कि समाधान स्वरूप होना चाहिए.
Loading…
Something went wrong. Please refresh the page and/or try again.