कहते हैं ना ‘जाको राखे साइंया, मार सकें ना कोई’… ऐसा ही कुछ हुआ एक महिला के साथ… जिसके ऊपर से ट्रेन गुज़र गई… लेकिन उसका बाल भी बांका नहीं हुआ
कहते हैं ना ‘जाको राखे साइंया, मार सकें ना कोई’… ऐसा ही कुछ हुआ एक महिला के साथ… जिसके ऊपर से ट्रेन गुज़र गई… लेकिन उसका बाल भी बांका नहीं हुआ
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सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जज हैं। जिनमें एक सीजेआई और 33 अन्य जज हैं। इन सभी 34 जजों पर देश की न्यायिक व्यवस्था को संभालने और उसकी प्रक्रिया को सतत रूप से बनाए रखने की जिम्मेदारी है। क्योंकि हर पीड़ित के लिए सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम दरवाजा है। जब किसी पीड़ित शख्स के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं या सरकारें अन्याय करती हैं तो उसे इस न्याय के मंदिर से एक अंतिम उम्मीद होती है।