गुजरात के वडोदरा में ‘सरदार सभा’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि स्वतंत्रता के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए सरकारी धन का उपयोग करना चाहते थे, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसे रोक दिया। सिंह ने नेहरू पर पटेल की विरासत को दबाने का भी आरोप लगाया, जबकि मोदी सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर पटेल को सम्मान दिया। यह बयान 75 साल पुराने बाबरी विवाद को फिर से हवा दे रहा है, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ गया।कांग्रेस ने इसे इतिहास से खिलवाड़ करार देते हुए जोरदार हमला बोला। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पत्रकारों से कहा, “यह सब असली मुद्दों जैसे प्रदूषण, बेरोजगारी से ध्यान भटकाने की साजिश है। रोज नए झूठे मुद्दे खड़े किए जाते हैं ताकि जनता की समस्याएं दब जाएं।” उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे ‘विभाजनकारी राजनीति’ बताया। इसी क्रम में राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, “मुझे राजनाथ सिंह से ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी। नेहरू ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी, देश को एकजुट किया। यह बयान नेहरू की स्मृति का अपमान है और बीजेपी का पुराना वोटबैंक गढ़ने का हथकंडा।” प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया पर भी इसे ‘ऐतिहासिक तथ्यों का विकृतिकरण’ करार दिया।अन्य कांग्रेसी नेताओं जैसे मणिकम टैगोर ने दस्तावेज मांगे, कहा कि नेहरू धार्मिक कार्यों के लिए सरकारी फंड के खिलाफ थे। विपक्ष ने इसे ‘झूठी नैरेटिव’ बताते हुए संसद में बहस की मांग की। यह विवाद शीतकालीन सत्र के बीच चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है, जहां बीजेपी हिंदुत्व को मजबूत कर रही है।
