रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले, राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जान-बूझकर विदेशी मेहमानों को विपक्ष के नेताओं से मिलने नहीं दे रही। राहुल गांधी के अनुसार, पहले ऐसा होता था — चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या मनमोहन सिंह की — लेकिन आज का शासन इस परंपरा को तोड़ कर दिखा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि यह कदम सरकार की असुरक्षा और विपक्ष की आवाज़ को दबाने की मंशा को दर्शाता है। “हम भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं,” उन्होंने पत्रकारों से कहा। इस दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार की आलोचना की — उनका कहना था कि विदेशी अतिथियों को विपक्ष से नहीं मिलवाना लोकतांत्रिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, और यह दर्शाता है कि सरकार “हर बात नियंत्रित रखना” चाहती है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की विदेश-नीति और राजनैतिक पहलुओं में सिर्फ सरकार की ही आवाज़ सुनी जाएगी, या विपक्ष की भूमिका को भी जगह मिलेगी।
